सभी गवाह पुलिस अधिकारी एवं जवान हैं. अभियोजन साक्ष्य बंद हो चुका है. सीआरपीसी की धारा 313 के तहत आरोपियों का सफाई बयान होना है. सात जनवरी को तिथि मुकर्रर है. सफाई बयान में न्यायालय द्वारा आरोपियों से पूछा जाता है कि आप पर लगे आरोप पर क्या कहना है? इसके बाद एक तिथि पर बहस होती है. बहस के बाद अगली तिथि में फैसला होता है. यानी मात्र कुल तीन डेट बाकी हैं इस मामले में. सारी गवाही गुजर गयी है. अधिकांश गवाहों ने न्यायालय में अपने बयान में केस का समर्थन किया है. इसलिए गवाही के आधार पर सजा तय है.’’उल्लेखनीय है कि राज्य विधि विभाग ने विधायक ढुल्लू महतो के खिलाफ दर्ज मामले को वापस लेने के प्रस्ताव पर हरी झंडी दे दी है. राज्य सरकार के फैसले की प्रति प्रभारी पीपी को उपलब्ध करा दी गयी है. अगले सप्ताह पीपी इस मामले में सरकार की ओर से कोर्ट में आवेदन देंगे. इस मामले में झारखंड उच्च न्यायालय से विधायक ढुल्लू महतो को 20 जून, 2014 में जमानत मिली थी. हाइकोर्ट ने विधायक को इस केस में हर तारीख पर कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया था, साथ ही निचली अदालत को छह माह में सुनवाई पूर्ण करने को कहा था. श्री महतो पर 12 मई, 2013 को पुलिस हिरासत से वारंटी राजेश गुप्ता को छुड़ाने का आरोप है. कतरास थाना के तत्कालीन थाना प्रभारी आलोक सिंह ने इस मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ 22.08.2013 को चार्जशीट दाखिल किया.
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कतरास थाना कांड संख्या-120/13. 32 महीने पूर्व दर्ज हुई थी प्राथमिकी, न्यायालय में चल रहा है मामला, ढुल्लू पर मुकदमा वापसी के फैसले पर उठे सवाल
धनबाद: बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो के खिलाफ न्यायालय में चल रहे कतरास थाना कांड संख्या-120/13 को राज्य सरकार की ओर से वापस लेने के फैसले को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं. बड़ा सवाल यह कि जो मामला न्यायालय व कानून के दायरे में है, उसमें राज्य सरकार को हस्तक्षेप करने की क्यों जरूरत पड़ी? […]
धनबाद: बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो के खिलाफ न्यायालय में चल रहे कतरास थाना कांड संख्या-120/13 को राज्य सरकार की ओर से वापस लेने के फैसले को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं. बड़ा सवाल यह कि जो मामला न्यायालय व कानून के दायरे में है, उसमें राज्य सरकार को हस्तक्षेप करने की क्यों जरूरत पड़ी? महत्वपूर्ण तथ्य यह कि धनबाद के प्रथम श्रेणी के न्यायिक दंडाधिकारी विनोद कुमार के न्यायालय में चल रहा यह मामला करीब-करीब फाइनल स्टेज पर है. बियाडा के पूर्व अध्यक्ष और अधिवक्ता विजय कुमार झा बताते हैं कि ‘‘इस मामले में अब तक 11 गवाहों की गवाही हो चुकी है.
हुआ क्षेत्रधिकार का उल्लंघन
इस केस वापसी के मामले के दौरान हुई कई गड़बड़ियां भी सामने आती रही हैं, जिसे कानून के जानकार गंभीर बताते हैं. सीआरपीसी की धारा 321 में मुकदमा वापसी का प्रावधान है. लेकिन यह स्पष्ट प्रावधान है कि केस से संबंधित पीपी /एपीपी इंचार्ज ही केस वापसी से संबंधित अपना मंतव्य देंगे. कतरास थाना केस संख्या 120/2013 की मुकदमा वापसी के लिए मंतव्य इंचार्ज पीपी अनिल कुमार सिंह ने दिया, जो कतरास कांड संख्या 120/2013 के एपीपी नहीं है. 120/2013 में 20 जुलाई, 2015 तक राजकुमार सिंह एपीपी थे. 21 जुलाई, 2015 से सोनी कुमारी एपीपी के रूप में कार्यरत थीं. उपरोक्त दोनों एपीपी में से किसी ने भी मुकदमा वापसी के पक्ष में अपना मंतव्य नहीं दिया. कानून के जानकारों का दावा है कि एपीपी अनिल कुमार सिंह ने क्षेत्रधिकार से बाहर जाकर कानूनी प्रावधान का उल्लंघन करते हुए अपना मंतव्य दिया है. यह जांच का विषय है कि राजकुमार सिंह या सोनी कुमारी से बिना मंतव्य प्राप्त किये उन्होंने अपना मंतव्य कैसे दे दिया?
पदभार ग्रहण करने के पूर्व मंतव्य
ढुल्लू के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लेने के पक्ष में एपीपी अनिल कुमार सिंह ने 13 जुलाई, 2015 को अपना लिखित मंतव्य उपायुक्त को दिया. जबकि 23 जुलाई के अपराह्न तक डीएम त्रिपाठी पीपी के रूप में कार्यरत थे. अनिल कुमार सिंह ने 23 जुलाई को दोपहर में पीपी का पदभार ग्रहण किया. ऐसी परिस्थिति में पदभार ग्रहण करने से 10 दिन पूर्व के डेट में उनका मंतव्य देना उन्हें संदेह में खड़ा करता है.
धनबाद के प्रभारी लोक अभियोजक ने क्या दिया था मंतव्य
23 सितंबर, 2014 को धनबाद के प्रभारी लोक अभियोजक डीएम त्रिपाठी ने पीपी की हैसियत से कतरास थाना कांड संख्या 120/13 में अपना मंतव्य देते हुए मुकदमे की वापसी को न्यायहित एवं लोकहित के विपरीत बताया था. उपायुक्त को भेजे गये तीन पन्नों के अपने मंतव्य के आठवें प्वाइंट में श्री त्रिपाठी ने कहा है कि ‘‘मुकदमे की वापसी होने की स्थिति में समाज पर एक ऐसे विधायक के तौर पर छवि उभरकर सामने आयेगी, जो कानून तोड़ कर भी कानून की गिरफ्त से बाहर है और वह सरकार के विरूद्ध कोई भी न्याय विरोधी कार्य कर सकता है. उपरोक्त बातों पर विचार करते हुए मेरा मंतव्य है कि विधि का शासन कायम करने हेतु इस मुकदमें को वापस करना न्यायहित व लोकहित में उचित नहीं है.’’
मुकदमा वापसी को न्यायहित और लोकहित के विपरीत बताया था
दिनांक 23-09-14 को प्रभारी लोक अभियोजक धनबाद डीएम त्रिपाठी ने पीपी की हैसियत से कतरास थाना कांड संख्या 120/13 में अपना मंतव्य देते हुए मुकदमे की वापसी को न्यायहित एवं लोकहित के विपरीत बताया था. समझा जाता है कि एपीपी की रिपोर्ट से क्षुब्ध होकर श्री त्रिपाठी का तबादला बोकारो कर दिया गया. उनके स्थान पर अनिल कुमार सिंह नंबर 2 को एपीपी धनबाद में अगले आदेश तक पदस्थापित किया गया. यह भी गौरतलब है कि श्री त्रिपाठी के ट्रांसफर तथा अनिल कुमार सिंह को बतौर एपीपी के रूप में प्रभार देने की अधिसूचना सरकार के गृह विभाग के उप सचिव अरविंद कुमार द्वारा 27-06-15 को जारी की गयी है. जबकि सचिवालय में शनिवार-रविवार को कार्यालय पूर्णत: बंद रहता है. देश में कोई आपातकाल की स्थिति भी नहीं थी कि शनिवार को एक पीपी का ट्रांसफर तथा दूसरे को प्रभार देना जरूरी हो गया? विधायक ढुलू महतो के केस में मुकदमा वापसी के लिए जहां पत्रंक 3639 के तहत अनिल कुमार सिंह को एपीपी का चार्ज दिया गया, वहीं पत्रंक 3640 के तहत उन्हें विशेष रूप से मुकदमा वापसी के लिए मुक्त करते हुए दूसरे अनिल कुमार दास को धनबाद में निगरानी वाद के अभियोग संचालन के लिए एपीपी पद पर कार्य करने की अधिसूचना जारी कर दी गयी. वर्तमान में 120/13 का केस न्यायिक दंडाधिकारी बिनोद कुमार के यहां ट्रायल चल रहा है. जिसमें एपीपी की हैसियत से सोनी कुमारी कार्यरत हैं. 20-07-15 के पूर्व यह मुकदमा एसडीजेएम धनबाद के यहां ट्रायल में था, जिसमें एपीपी राजकुमार सिंह थे. लेकिन अनिल कुमार सिंह ने उन्हें दरकिनार कर दिया.
कतरास थाना कांड संख्या-120/13
तारीखों के आईने में
20 अप्रैल, 2013 : बीसीसीएल की मुराईडीह शताब्दी परियोजना/डंप में ए मित कोल इंटरप्राइजेज नामक कंपनी की दो ट्रकें कोयला लेने पहुंची, मगर उस दिन दोनों ट्रकों पर कोयला लोड नहीं हुआ. अगले दिन राजेश गुप्ता व अन्य ने कथित रूप से ए मित कोल इंटरप्राइजेज के मुंशी गौरीशंकर सिंह से रंगदारी की मांग की. नहीं देने पर पत्थरयुक्त कोयला ट्रकों में लोड करा दिया. मुंशी गौरीशंकर सिंह ने राजेश गुप्ता व अन्य पर धनबाद जिले के बरोरा थाना में रंगदारी का मामला दर्ज कराया. रंगदारी के इस मामले में न्यायालय ने वारंट निर्गत किया.
À12 मई 2013 : न्यायालय के वारंट के आलोक में बरोरा थाना की पुलिस राजेश गुप्ता को गिरफ्तार करने कतरास के निचितपुर स्थित उसके आवास पर पहुंची. राजेश गुप्ता को गिरफ्तार कर बरोरा पुलिस ने अपने जीप में बैठाया और थाना ले जाने लगी. आरोप है कि राजेश गुप्ता की गिरफ्तारी का सूचना मिलने पर विधायक ढुल्लू महतो अपने समर्थकों के साथ पहुंचे. ढुल्लू महतो अपने समर्थकों के साथ पुलिस बल पर हमला कर राजेश गुप्ता को पुलिस की कस्टडी से छुड़ा ले गये. पुलिस कस्टडी से वारंटी राजेश गुप्ता को जबरन छुड़ाने की घटना में बरोरा थाना के तत्कालीन थानेदार रामनारायण चौधरी की शिकायत पर कतरास थाना में विधायक ढुलू महतो, गंगा साव, चुनचुन गुप्ता, बसंत शर्मा, रामेश्वर महतो समेत 35-40 अज्ञात पर कांड संख्या 120/13, धारा 147, 148, 149, 341, 323, 553, 332, 290, 427, 283, 224, 225, 504 के तहत मामला दर्ज किया गया. प्राथमिकी में श्री चौधरी ने न्यायालय से मिले वारंट के तामिला में बाधा उत्पन्न करने, आरोपी को जबरन छुड़ा ले जाने, सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने, हाथापाई व दुर्व्यवहार करने, आर्म्स छीनने का प्रयास करने, सिपाही रामवचन राम की वरदी फाड़ने का आरोप लगाया.
À14 मई, 2013 : प्राथमिकी दर्ज होने के बाद विधायक ढुल्लू महतो फरार हो गये. पुलिस ने ढुलू महतो की गिरफ्तारी के लिए छापामारी की और कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट प्राप्त किया. अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने पुलिस अभिरक्षा से वारंटी को छुड़ाने के मामले में ढुलू महतो के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट निर्गत किया. केस के अनुसंधानकर्ता मनोज कुमार गुप्ता ने अदालत में आवेदन देकर विधायक के खिलाफ वारंट निर्गत करने का आग्रह किया था. अदालत ने वारंट निर्गत कर दिया. उनके अलावा गंगा साव, बसंत शर्मा, रामेश्वर महतो, चुनचुन गुप्ता के खिलाफ कोर्ट से वारंट निकाला. इधर रंगदारी के आरोपी निचितपुर निवासी राजेश गुप्ता के आवास में बरोरा व कतरास पुलिस ने इश्तहार चिपकाया.
14 मई, 2013 : धनबाद के तत्कालीन विधायक मन्नान मल्लिक व पूर्व मंत्री ओपी लाल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल रांची गवर्नर हाउस में तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे से मिला. पूरे मामले की जानकारी दी. तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया.
18 मई, 2013 : ढुलू महतो की अग्रिम जमानत अरजी पर धनबाद के प्रभारी प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश प्रथम की अदालत में सुनवाई हुई. अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि 21 मई मुकर्रर की.
21 मई, 2013 : एडीजे-दो की कोर्ट में ढुलू महतो की अग्रिम जमानत अरजी पर सुनवाई हुई और 10 जून तक गिरफ्तारी पर रोक लगी.
15 जून, 2013 : कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई और फैसला सुनाने की तिथि 17 जून रखी.
17 जून, 2013 : कोर्ट ने अग्रिम जमानत की अरजी खारिज कर दी.
28 जून, 2013 : हाइकोर्ट में विधायक ने एफआइआर निरस्त करने की जो याचिका दाखिल की थी वह खारिज हुई.
नौ जुलाई, 2013 : पुलिस कुर्की के लिए ढुलू महतो के आवास पर पहुंची. इधर, ढुलू महतो ने धनबाद कोर्ट में सरेंडर कर दिया. जेल भेजे गये.
22 अगस्त, 2013 : न्यायालय में अनुसंधानकर्ता पुलिस अधिकारी कतरास थाना के तत्कालीन थाना प्रभारी आलोक सिंह ने विधायक ढुलू महतो समेत सभी आरोपियों के खिलाफ 22.08.2013 को चार्जशीट दाखिल किया.
21 जून, 2014 : रांची हाइकोर्ट से विधायक ढुलू महतो को जमानत मिली.
23 जून, 2014 : 11 महीने 14 दिन बाद विधायक ढुलू महतो धनबाद मंडल कारा से रिहा हुए.
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