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वर्ष 2000 में थे 9 लाख, आज रोड पर दौड़ रहे 40 लाख वाहन
बोझ. गाड़ियों की संख्या तो बढ़ी, पर उसके मुकाबले सड़कें नहीं बनीं रांची : राज्य में गाड़ियों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है. झारखंड गठन के बाद पिछले 15 सालों में गाड़ियों की तादाद में गुणात्मक बढ़ोतरी हुई है. राज्य गठन के वक्त वर्ष 2000-01 में गाड़ियों की संख्या केवल 9.9 लाख थी. आज […]
बोझ. गाड़ियों की संख्या तो बढ़ी, पर उसके मुकाबले सड़कें नहीं बनीं
रांची : राज्य में गाड़ियों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है. झारखंड गठन के बाद पिछले 15 सालों में गाड़ियों की तादाद में गुणात्मक बढ़ोतरी हुई है. राज्य गठन के वक्त वर्ष 2000-01 में गाड़ियों की संख्या केवल 9.9 लाख थी. आज गाड़ियों की संख्या बढ़ कर 40 लाख से अधिक हो गयी है.
मतलब 15 साल में गाड़ियों की संख्या में चार गुणा की बढ़ोतरी हुई है. इसमें सबसे अधिक संख्या दोपहिया वाहनों की है. दूसरी तरफ सड़कों का निर्माण इस तुलना में नहीं किया गया. राज्य गठन के वक्त शहरी सड़क को छोड़ कर राज्य में 15144 किमी सड़कें थीं, जो अब बढ़ कर 43413 किमी हो गयी है. मतलब सड़क के मामले में बढ़ोतरी की दर तीन गुणी है.
हालांकि सबसे अधिक करीब 24 हजार किमी ग्रामीण सड़क का निर्माण हुआ. जहां ट्रैफिक कम होता है. नेशनल हाईवे (एनएच) और स्टेट हाईवे (एसएच) में सिर्फ चार हजार किमी की बढ़ोतरी हुई है. इसका असर यह हो रहा है कि ग्रामीण सड़कों पर तो ट्रैफिक कम दिखता है, लेकिन एनएच और एसएच पर जाम की स्थिति बनने लगी है.
सरकार के आंकड़े के मुताबिक नवंबर 2015 तक राज्य गठन के बाद अब तक 31 लाख दोपहिया वाहनों का निबंधन किया जा चुका है. राज्य की सड़कों पर दौड़नेवाली गाड़ियों की संख्या में दूसरा स्थान चार पहिया वाहनों का है. टैक्सी, कार और जीप को मिला कर कुल 4,65,282 चार पहिये वाहनों का निबंधन किया गया है. इसमें सबसे बड़ी संख्या निजी वाहनों की है.
राज्य में 3.19 लाख लोगों के पास अपनी कार है. राज्य में चलनेवाले व्यावसायिक वाहनों की संख्या में भी गुणात्मक वृद्धि हुई है. राज्य गठन के समय तिपहिया वाहनों की संख्या केवल 28 हजार थी. वर्तमान में 1.45 लाख तिपहिया वाहन राज्य में निबंधित हैं. इसी तरह 2001-02 में केवल 50 हजार ट्रक या मिनी ट्रक राज्य में निबंधित थे. आज उनकी संख्या 1.31 लाख तक पहुंच गयी है. बड़े ट्रकों (टेलर) की संख्या बढ़ कर 55 हजार हो गयी है.
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