11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पलामू और जमशेदपुर में भी लगेंगे प्लांट

छोटे-से गांव से निकल कर दुनिया में जगह बनाया अमूल ने-2 आनंद (गुजरात) से लौटकर शकील अख्तर विद्या डेयरी एनडीडीबी की एक ऐसी इकाई हैं, जहां डेयरी के उत्पादों को बनाने और मार्केटिंग का भी प्रशिक्षण दिया जाता है. यहां से पास होनेवालों छात्रों की भारी मांग है. विद्या डेयरी के मैनेजर वीरेंद्र कुमार ने […]

छोटे-से गांव से निकल कर दुनिया में जगह बनाया अमूल ने-2
आनंद (गुजरात) से लौटकर शकील अख्तर
विद्या डेयरी एनडीडीबी की एक ऐसी इकाई हैं, जहां डेयरी के उत्पादों को बनाने और मार्केटिंग का भी प्रशिक्षण दिया जाता है. यहां से पास होनेवालों छात्रों की भारी मांग है. विद्या डेयरी के मैनेजर वीरेंद्र कुमार ने बताया कि विद्या डेयरी एक पूर्ण संस्था है. यहां से डेयरी में स्नातक की डिग्री दी जाती है. प्रतियोगिता परीक्षा के सहारे डेयरी में स्नातक की पढ़ाई के लिए नामांकन होता है. चार साल तक थ्योरी पढ़ाई जाती है. इसके बाद एक साल का प्रशिक्षण पाठ्यक्रम है.
इसमें छात्रों को विभिन्न प्रकार के डेयरी उत्पादों जैसा आइसक्रीम,चाकलेटआदि बनाने और सभी प्रकार की मशीनों को चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है. उत्पादन का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्हें मार्केटिंग का प्रशिक्षण दिया जाता है. इस क्रम में उन्हें सेल काउंटर पर भी बैठना पड़ता है. विद्या डेयरी में अमूल से दूध खरीद कर छात्रों को दही,आइसक्रीम सहित अन्य उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है. सभी उत्पाद अमूल के नाम से ही बनाये जाते हैं. इन उत्पादों बिक्री से होनेवाला मुनाफा विद्या डेयरी के खाते में जाता है. इससे विद्या डेयरी के विकास का काम होता है.
आइडीएमसी
डेयरी से जुड़े मशीन और उपकरणों के निर्माण के लिए 1978 में आइडीएमसी की स्थापना हुई थी. आइडीएमसी के कार्यकारी निदेशक अनिल शिनोइ ने बताया कि अब यहां डेयरी उद्योग के अलावा दूसरे व्यापारिक क्षेत्रों की मशीनें भी बनायी जीती हैं.
आइडीएमसी ने अपने कार्य का विस्तार करते हुये शराब की भठ्ठी, दवा बनाने की मशीनें, थर्मामीटर मैनेजमेंट से जुड़े उपकरणों के अलावा अन्य प्रकार के पेय पदार्थों के उत्पादन से जुड़ी मशीनों का निर्माण शुरू किया है. यहां अब पेय पदार्थों के विभिन्न प्रकार के पैकेट भी तैयार किये जाते हैं. डेयरी के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय काम किये गये हैं.
इन में एक जगह से दूसरी जगह दूध ले जाने के लिये तैयार रेल वैगन शामिल है. इस वैगन रखे गये दूध का तापमान 24 में सिर्फ तीन डिग्री बढ़ता है.अर्थात वैगन में तीन डिग्री सेल्सियस पर दूध भरने के बाद उसके 24 घंटे तक चलने के बाद दूध का तापमान छह डिग्री सेल्सियस होगा और दूध में किसी तरह की खराबी पैदा नहीं होगी. यहां अभी एक गाड़ी भी तैयार की गयी है.
इसमें चिलिंग प्लांट के बाद जेनरेटर लगाया गया है. इसका इस्तेमाल उन जगहों से दूध लाने में किया जा सकता है जहां चिलिंग प्लांट नहीं लगे हों. दूसरा इस्तेमाल काफी लंबी दूरी तक एक गाड़ी दूध ले जाने के लिये किया जा सकता है. इसे मोबाइल बल्क मिल्क कूलर का नाम दिया गया है. होटवार डेयरी के लिए जरूरी मशीनें व अन्य उपकरण आइडीएमसी में ही बनाये जा रहे हैं.
साबरमती गोशाला आश्रम
अफ्रीका से लौटने के बाद महात्मा गांधी ने वर्ष 1915 इसकी शुरूआत की थी. साबरमती आश्रम में रहनेवालों को दूध की आपूर्ति के उद्देश्य से स्थापित गोशाला आश्रम ने अब ‘सीमेन’ उत्पादन के क्षेत्र में महारत हासिल कर चुका है.
राष्ट्रपिता द्वारा स्थापित इस संस्था का ट्रस्ट के रूप में निबंधन 1952 में हुआ.1973 में इसका प्रबंधन एनडीडीबी को मिला.इसके बाद 1974 से यहां ‘सीमेन’ बनाने का काम शुरू हुआ. पिछले साल यहां कृत्रिम गर्भाधान के लिए अत्याधुनिक तरीके से 12.48 मिलियन ‘सीमेन डोज’ तैयार किया गया.
यहां ‘सीमेन डोज’ तैयार करने के लिए विभिन्न नस्लों के 160 सांड़ और भैंसे हैं. इसके अलावा 40 गाय और भैंस हैं. आश्रम में पशुओं के लिए हरा चारा और चारा बीज का भी उत्पादन किया जाता है.11 गांवों में आश्रम के पास खेती के लायक जमीन है. पिछले साल इससे 21.82 मीट्रिक टन चारा बीज और 10025 मैट्रिक टन हरे चारे का उत्पादन और बिक्री की गयी थी. समाप्त
झारखंड के लिए एनडीडीबी की भावी योजना
झारखंड में एनडीडीबी के कदम रखने के बाद यहां के दूध उत्पादकों को पहली बार उन्हें बोनस के तौर पर 52 लाख रुपये मिले. यहां फिलहाल 356 मिल्क पूलिंग प्वाइंट (एमपीवी) हैं.
इससे 5200 दूध उत्पादक जुड़े हुये हैं. इनके द्वारा उत्पादित दूध से वित्तीय वर्ष 2014-15 में झारखंड मिल्क फेडरेशनों का टर्नओवर 20 करोड़ रुपये हुआ था. एनडीडीबी के अध्यक्ष टी नंद कुमार के अनुसार झारखंड में डेयरी के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं बनायी गयी है. इसके तहत वर्ष 2018-19 तक 1590 मिल्क पूलिंग प्वाइंट बनाने का लक्ष्य है.
झारखंड मिल्क फेडरेशनों के दूध की बिक्री बढ़ा कर 1.6 लाख लीटर प्रति दिन करना है. होटवार में 50 हजार लीटर प्रति दिन की क्षमता का डेयरी प्लांट लगाना और इसे बढ़ा कर एक लाख लीटर प्रति दिन करना है. बोर्ड ने जमशेदपुर और पलामू में भी डेयरी प्लांट लगाने की योजना बनायी है.
जमशेदपुर में 50 हजार लीटर प्रति दिन की क्षमता का और पलामू में 30 हजार लीटर प्रति दिन की क्षमता का प्लांट लगाने का लक्ष्य है. पशुओं के स्वास्थ्य के मद्देनजर 120 एमटी उत्पादन क्षमता का मिनरोलॉजी मिक्सचर प्लांट और चारा के लिए 150 एमटी क्षमता का प्लांट लगाने की योजना है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें