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आदिवासियों के मुआवजे की राशि फंसी, परेशानी

रिंग रोड के लिए जमीन अधिग्रहण रांची : सरकार के पास सात आदिवासी परिवार के सदस्यों के करीब 1.29 करोड़ रुपये फंस गये हैं. वर्ष 2010-11 में रिंग रोड निर्माण के लिए टाटीसिलवे में सिलवे मौजा की जमीन को अधिगृहित किया गया था. इसमें अन्य के अलावा सात आदिवासी रैयतों की जमीन भी गयी थी, […]

रिंग रोड के लिए जमीन अधिग्रहण
रांची : सरकार के पास सात आदिवासी परिवार के सदस्यों के करीब 1.29 करोड़ रुपये फंस गये हैं. वर्ष 2010-11 में रिंग रोड निर्माण के लिए टाटीसिलवे में सिलवे मौजा की जमीन को अधिगृहित किया गया था. इसमें अन्य के अलावा सात आदिवासी रैयतों की जमीन भी गयी थी, पर इसका भुगतान आज तक नहीं हो सका है.
इस बीच इन परिवारों के लोग नामकुम प्रखंड तथा जिला भू-अर्जन कार्यालय के करीब सौ-सौ चक्कर लगा चुके हैं, पर इन्हें टहलाया जा रहा है. एक भुक्तभोगी के अनुसार कर्मचारी कुछ देकर मामला निपटाने को कहते हैं. स्व बकस्त भुइहारी तथा विदेश मुंडा के वंशजों के बेटियों की शादी पैसे के अभाव में नहीं हो रही है. इसी परिवार का एक लड़का संतोष मुंडा माह भर पहले दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इसके इलाज में एक लाख रुपये खर्च हुए, जिसे एक दूसरी जमीन बेचकर पूरा किया गया. ऐसे ही कहानी दूसरे परिवारों की भी है. दरअसल नामकुम प्रखंड में भूमि अधिग्रहण के बाद भुगतान नहीं होने के कई मामले हैं
इसी मामले में उपायुक्त रांची ने नामकुम की अंचलाधिकारी कुमुदनी टुडू को निलंबित करने की अनुशंसा की है, पर उन रैयतों को कोई राहत नहीं मिली है, जिनकी जमीन अधिग्रहण की रकम बकाया है. गौरतलब है कि करीब 85 किमी लंबी इस गोलाईनुमा सड़क (रिंग रोड) ने कुल 86 गांवों की जमीन अपने में समेटी है. रैयतों की 1100 एकड़ जमीन का अधिग्रहण हुआ है. कई गांव में ग्रामीणों के मकान भी सड़क की जद में आने से टूटे हैं.

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