चिटफंड कंपनियों पर निगाह रखने के लिए रजिस्ट्रार आॅफिस खोले जायेंगे. इसमें अपर वित्त आयुक्त इसके रजिस्ट्रार चिट्स होंगे. वहीं जिला के डीसी इसके संयुक्त निबंधक के तौर पर होंगे. उन्होंने कहा िक कोई भी नयी चिटफंड कंपनी शुरू करने के पहले चिट्स निबंधक से इसकी अनुमति अनिवार्य होगी. हित संरक्षण अधिनियम में पुलिस की कार्रवाई के लिए मापदंड तैयार किये गये हैं. अधिनियम के तहत एक न्यायालय भी होगा. जहां केस फाइल किये जायेंगे. इसके लिए झारखंड सरकार के अधिकारियों को तैयारी करने को कहा दिया गया है. इसका फैसला गुरुवार को बैंक समन्वय समिति व सरकार के पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में लिया गया.
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आरबीआइ के क्षेत्रीय निदेशक ने कहा, चिटफंड कंपनियों पर नकेल कसी जायेगी
रांची: भारतीय रिजर्व बैंक(बिहार-झारखंड) के क्षेत्रीय निदेशक मनोज कुमार वर्मा ने कहा कि चिटफंड कंपनियों पर नकेल कसी जायेगी. किसी भी तरह की फाइनांस कंपनी शुरू करने के पहले प्राधिकृत अधिकारियों के अलावा स्थानीय उपायुक्त को इसकी सूचना देनी होगी. ऐसा नहीं होने पर कंपनी के खिलाफ पेनाल्टी लगायी जायेगी. चिटफंड कंपनियों पर निगाह रखने […]
रांची: भारतीय रिजर्व बैंक(बिहार-झारखंड) के क्षेत्रीय निदेशक मनोज कुमार वर्मा ने कहा कि चिटफंड कंपनियों पर नकेल कसी जायेगी. किसी भी तरह की फाइनांस कंपनी शुरू करने के पहले प्राधिकृत अधिकारियों के अलावा स्थानीय उपायुक्त को इसकी सूचना देनी होगी. ऐसा नहीं होने पर कंपनी के खिलाफ पेनाल्टी लगायी जायेगी.
उन्होंने बताया कि अन्य राज्यों की तरह झारखंड में भी हित संरक्षण अधिनियम नियमावली बनायी गयी, जिसकी अधिसूचना गुरुवार को जारी कर दी गयी. इस अधिनियम के तहत हर जिला में एक प्राधिकृत पदाधिकारी बनाया जायेगा, जो नये व्यवसाय करनेवालों पर निगरानी रखने का काम करेंगे. अधिनियम के तहत प्राधिकृत पदाधिकारी को कार्रवाई का पूरा अधिकार भी दिया जायेगा. संवाददाता सम्मेलन में गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के महाप्रबंधक व सहायक प्रबंधक भी शामिल थे.
आवेदन के बाद तुरंत लाइसेंस : श्री वर्मा ने बताया कि फाइनांस कंपनी खोलने के लिए आवेदन देना होगा. आवेदन के बाद तुरंत लाइसेंस निर्गत कर दिया जायेगा, लेकिन उसकी स्थलीय जांच भी होगी. गलत पाये जाने पर संचालक के खिलाफ केस भी होगा.
कोऑपरेटिव सोसाइटी पर भी कसेगा शिकंजा : श्री वर्मा ने बताया कि को-ऑपरेटिव सोसाइटी पर भी शिकंजा कसा जायेगा. इसके लिए रजिस्ट्रार को कहा गया है कि जितने भी निबंधित को-ऑपरेटिव सोसाइटी संचालित हैं, उसकी सूची तैयार करें. सभी के बैंलेंस शीट की जांच करें. जो भी गलत पाया जाये, उनके खिलाफ कार्रवाई करें.
बैठक में नहीं आये मुख्य सचिव : 19वीं बैंक समन्वय समिति की बैठक में राज्य के मुख्य सचिव राजीव गौबा अनुपस्थित रहे. मुख्य सचिव समन्वय समिति के अध्यक्ष हैं. श्री वर्मा ने बताया कि बैठक में आने के लिए कई बार उन्हें फोन से भी सूचना दी गयी. इसके बावजूद वे बैठक में नहीं आये.
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