रांची : राज्य के विधायक अब चापानल लगाने के लिए अपनी मर्जी से एजेंसी का चुनाव नहीं कर सकेंगे. सरकार ने इससे संबंधित नियम में बदलाव कर दिया है. सरकार को चापानलों का हिसाब रखने के मामले में हो रही परेशानियों के मद्देनजर नियम में बदलाव किया है.
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विधायक नहीं चुन पायेंगे चापानल लगाने की एजेंसी
रांची : राज्य के विधायक अब चापानल लगाने के लिए अपनी मर्जी से एजेंसी का चुनाव नहीं कर सकेंगे. सरकार ने इससे संबंधित नियम में बदलाव कर दिया है. सरकार को चापानलों का हिसाब रखने के मामले में हो रही परेशानियों के मद्देनजर नियम में बदलाव किया है. विधायकों की अनुशंसा पर योजनाओं को लागू […]
विधायकों की अनुशंसा पर योजनाओं को लागू करने का नियम है. इसके तहत विधायकों की अनुशंसा पर चापानल लगाये जाते हैं. राज्य में लागू नियम के तहत विधायकों को योजनाओं की अनुशंसा के साथ ही एजेंसी चुनने का भी अधिकार है. इस अधिकार का इस्तेमाल करते हुए विधायकों द्वारा चापानल लगाने की अनुशंसा के साथ ही एजेंसी का भी चयन किया जाता रहा है.
विधायकों द्वारा चुनी गयी कार्यकारी एजेंसी चापानल लगाने का बाद उसकी मरम्मत आदि का काम नहीं करती हैं, क्योंकि उस एजेंसी के पास मरम्मत के लिए फंड नहीं होता है. साथ ही ग्रामीण पेयजलापूर्ति के लिए जिम्मेवार पेयजल विभाग के पास विधायकों की अनुशंसा पर अलग-अलग एजेंसियों द्वारा लगाये चापानलों का हिसाब नहीं होता है.
इस स्थिति को देखते हुए सरकार ने विधायकों की अनुशंसा पर चापानल लगाने के लिए पेयजल एंव स्वच्छता विभाग को ही कार्यकारी एजेंसी नियुक्त किया है.
सरकार ने इससे संबंधित आदेश भी जारी कर दिया है. नये नियम के तहत विधायक द्वारा चापानल लगाने की अनुशंसा संबंधित जिले के उपायुक्त और उप विकास आयुक्त जिले के पेयजल स्वच्छता प्रमंडल को भेज देंगे. पेयजल विभाग के संबंधित प्रमंडल द्वारा ही विधायक की अनुशंसा के आलोक में चापानल लगाया जायेगा.
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