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सफलता में एटीट्यूड और एप्टीट्यूड का महत्व

सफलता में एटीट्यूड और एप्टीट्यूड का महत्व फोटो फोल्डर में अविनाश कुमारनिदेशक, यूनिवर्सल कैरियर सेंटरसफलता के पीछे कई कारण होते हैं. इनमें दो अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. व्यक्ति का एटीट्यूड और एप्टीट्यूड. इनके बिना अच्छे खिलाड़ी, अच्छे नेता, अच्छे अध्यापक, अच्छे प्रशासक या सही अर्थों में किसी भी सफल व्यक्ति का निर्माण कठिन होता है़ यही […]

सफलता में एटीट्यूड और एप्टीट्यूड का महत्व फोटो फोल्डर में अविनाश कुमारनिदेशक, यूनिवर्सल कैरियर सेंटरसफलता के पीछे कई कारण होते हैं. इनमें दो अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. व्यक्ति का एटीट्यूड और एप्टीट्यूड. इनके बिना अच्छे खिलाड़ी, अच्छे नेता, अच्छे अध्यापक, अच्छे प्रशासक या सही अर्थों में किसी भी सफल व्यक्ति का निर्माण कठिन होता है़ यही व्यक्ति को ताकतवर या कमजोर, उपयोगी या अनुपयोगी बनाता है़ विशेषकर विद्यार्थी जीवन में इनकी भूमिका अौर महत्वपूर्ण होती है़ कहा जा सकता है यह सफलता की जननी है़ ………………………………….एटीट्यूड और एप्टीट्यूड क्या है?एटीट्यूड : भाषा शब्दकोष के अनुसार इसका शाब्दिक अर्थ होता है-दृष्टिकोण या नजरिया़ इसे व्यक्ति की मानसिकता, सोच और रवैये के अर्थ में भी लिया जाता है़एप्टीट्यूड : शब्दकोष के अनुसार इसका शाब्दिक अर्थ है : व्यक्ति की नैसर्गिक योग्यता और क्षमता़ इसके अंतर्गत व्यक्ति के उन गुणों को भी लाया जा सकता है, जो शिक्षण-प्रशिक्षण और जीवन की घटनाओं और अनुभवों के दौरान विकसित होता है़ ये दोनों तत्व व्यक्ति के अाचार-व्यवहार, क्रिया-प्रतिक्रिया और कार्यशैली में निरंतर परिलक्षित होते रहते हैं. व्यक्ति की सफलता में एप्टीट्यूड की बहुत बड़ी भूमिका होती है़ एटीट्यूड एप्टीट्यूड को व्यापक तौर पर प्रभावित करता है़ विद्यार्थियों के लिए विशेषकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र-छात्रााओं के लिए ये बातें और भी महत्वपूर्ण हो जाती है़ परीक्षा के प्राथमिक चरणों से लेकर साक्षात्कार तक ये निर्णायक भूमिका निभाते हैं. तैयारी के दौरान भी वैसे विद्यार्थियों की तैयारी मुकम्मल तौर पर ठाेस आकार ले पाती है, जो सकारात्मक नजरिए और समग्र क्षमता के साथ तैयारी में जुटते हैं. सही एटीट्यूड तथा एप्टीट्यूड की जितनी जरूरत सफलता के लिए होती है, उतनी ही जरूरत उस सफलता का स्वाद चखने और उसकी गरिमा एवं निरंतरता बनाये रखने के लिए भी होती है़अब अगला प्रश्न यह है कि क्या एटीट्यूड और एप्टीट्यूड में बेहतरी लायी जा सकती है़ यदि हां तो कैसे? इन्हें सुधारा जा सकता है़ यदि कोई व्यक्ति अपनी दिन प्रतिदिन की क्रिया-कलापों के प्रति सजग रहे, अपनी हरेक प्राथमिकता, प्रतिक्रिया तथा कार्यशैली का अवलोकन करना प्रारंभ करे, तो क्रमिक रूप से धीरे-धीरे उसके पूर्वाग्रह कम होने लगते हैं और वह पहली बार सही अर्थों में सुनना, देखना और समझना शुरू करता है़ उसके बोध और अनुभव को सही दिशा मिलने लगती है़ अंतत: उसका एटीट्यूड सही संतुलित होने लगता है़ एटीट्यूड में बेहतरी आते ही व्यक्ति का एप्टीट्यूड प्रशंसनीय होने लगता है़ हमलोग जिस समाज में रहते हैं, वहां सूचनाओं एवं संसाधनों की बहुतायत है़ राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और वैज्ञानिक जगत में घटने वाली हजारों लाखों घटनाओं को विभिन्न प्रकार के कम्युनिकेशन के माध्यम हमलोगों तक पहुंचाते रहते हैं. यदि एटीट्यूड और एप्टीट्यूड परिदृश्य हों, तो हरेक चीज का फलप्रद उपयोग किया जा सकता है़ इस प्रकार हर व्यक्ति हमारा शिक्षक, हर घड़ी सीखने की घड़ी और हरेक जगह हमारे लिए लर्निंग स्टेज बन जाती है़विद्यार्थी जीवन को संपूर्ण जीवन की बुनियाद कहा जाता है़ उसकी गुणवत्ता पर ही भावी जीवन की उपयोगिता एवं सफलता निर्भर करती है़ अत: उन्हें एटीट्यूड तथा एप्टीट्यूड तथा सफलता का त्रिकोणात्मक संबंध ठीक प्रकार से समझना चाहिए़

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