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जमीन हड़पनेवालों को संरक्षण : प्रेमशाही
रांची : आदिवासी जन परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष प्रेमशाही मुंडा ने कहा है कि सीएम की एसएआर कोर्ट समाप्त करने की घोषणा गैर आदिवासियों द्वारा हड़पी गयी आदिवसी जमीन को संरक्षण देने का प्रयास है़ इस कोर्ट में आदिवासी जमीन से जुड़े हजारों मामले लंबित है़ यदि सीएम ईमानदारी से चाहते हैं कि आदिवासी जमीन […]
रांची : आदिवासी जन परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष प्रेमशाही मुंडा ने कहा है कि सीएम की एसएआर कोर्ट समाप्त करने की घोषणा गैर आदिवासियों द्वारा हड़पी गयी आदिवसी जमीन को संरक्षण देने का प्रयास है़ इस कोर्ट में आदिवासी जमीन से जुड़े हजारों मामले लंबित है़
यदि सीएम ईमानदारी से चाहते हैं कि आदिवासी जमीन की सुरक्षा हो, तो वे सीएनटी एक्ट 71 (ए) का संशोधन कर तीस वर्ष की समयसीमा कानून (लिमिटेशन एक्ट) और क्षतिपूर्ति निर्धारण के प्रावधान को समाप्त करे़ं मुख्यमंत्री के पास कानून बनाये बिना एसएआर कोर्ट को समाप्त करने का वैधानिक अधिकार नही़ं श्री मुंडा केंद्रीय कार्यालय में हुई जन परिषद की बैठक में बोल रहे थे़
उन्होंने कहा कि सरकार पेसा कानून की धार चार (ठ) के (3) में उपबंधित जमीन वापसी के संबंध में कानून बना कर ग्राम सभा और त्रिस्तरीय पंचायती राज को हड़पी हुई जमीन वापसी का अधिकार सुपुर्द करे़
इस तरह का कानून म्यूनिसिपल एक्ट में भी लागू किया जाये़ हड़पी गयी आदिवासी जमीन को चिह्नित करने के लिए रिवीजनल सर्वे कराना भी जरूरी है़
यह शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के लिए होना चाहिए़ बैठक में मांग की गयी कि रांची के उपायुक्त को अविलंब बर्खास्त किया जाये, क्योंकि उन्होंने गेतलसूद पंचायत के बनादाग मौजा के खाता 83, प्लॉट 640 व 642, कुल रकबा 3.09 एकड़ जमीन गैरकानूनी रूप से विनोद कुमार को दिया है़ बैठक में अभय भुटकुंवर, गोपाल बेदिया, श्रवण लोहरा, कृष्णा लोहरा, अविनाश मिंज, शीला एक्का, राजीव रंजन मुंडा, हरिलाल मुंडा, उमेश लोहरा, श्रीनाथ मुंडा, किस्टो कुजूर, चमुर बड़ाईक, फूलचंद पाहन, हीरालाल मुंडा, सुरेश मुंडा, गौरी बेदिया, कुंदर्शी मुंडा व अन्य मौजूद थे़
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