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खराब हो रही झारक्राफ्ट की हालत

खराब हो रही झारक्राफ्ट की हालत क्या है स्थिति – 200 कलस्टर में 185 बंद हो गये- 131 सीएफसी में केवल 25 ही चालू- 162 पीडब्ल्यूसी में 117 बंद – 50 हजार सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाने की थी योजना, 45 ही बन पायी – टर्नओवर 41 करोड़ से घट कर 31 करोड़ हुआक्या हैं कारण […]

खराब हो रही झारक्राफ्ट की हालत क्या है स्थिति – 200 कलस्टर में 185 बंद हो गये- 131 सीएफसी में केवल 25 ही चालू- 162 पीडब्ल्यूसी में 117 बंद – 50 हजार सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाने की थी योजना, 45 ही बन पायी – टर्नओवर 41 करोड़ से घट कर 31 करोड़ हुआक्या हैं कारण – काम में रुचि भी नहीं झारक्राफ्ट – सरकार की कोई योजना नहीं ले रहा है-अपने उत्पादों को बाजार के अनुरूप नहीं बना पा रहा -कई डिजाइनर हटा दिये गये- सरकार में आपूर्ति के लिए अॉर्डर लेने में रुचि नहीं दिखा रहा विदेशों से भी नहीं मिला आर्डरझारक्राफ्ट के एमडी एटी मिश्रा फ्रांस व जापान गये. पर वहां से भी बड़े पैमाने पर अॉर्डर नहीं मिला. केवल कुछ हजार स्टोल के अॉर्डर मिले.कोट ऐसा नहीं है कि सारे सीएफसी बंद हो गये. बीच में कुछ तकनीकी परेशानी थी. जिसके चलते पांच-छह महीने सीएफसी की मॉनिटरिंग नहीं की गयी. अब धीरे-धीरे सबको खोलने का प्रयास किया जा रहा है. पीडब्ल्यूसी भी निबंधन करा लेते हैं, पर कई लोग काम ही नहीं करते. इसे भी दुरुस्त किया जा रहा है. कलस्टर फिर से आरंभ किये जा रहे हैं. हजारीबाग और लापुंग में काम आरंभ कर दिया गया है. जल्द ही झारक्राफ्ट पटरी पर आ जायेगा. – बीबी प्रसाद, जीएम (ऑपरेशन), झारक्राफ्टवरीय संवाददाता, रांचीलाखों लोगों को रोजगार देनेवाले झारक्राफ्ट की स्थिति खराब होती जा रही है़ इसके कई कॉमन फैसिलिटी सेंटर(सीएफसी) व कलस्टर बंद होते जा रहे हैं. झारक्राफ्ट में काम करनेवाले लोग, अब दूसरी जगह रोजगार तलाश रहे हैं. हाल के दिनों में इसके टर्नओवर में भी गिरावट आयी है़ 2013-14 में झारक्राफ्ट का टर्नओवर 41 करोड़ रुपये था, जो घट कर 31.5 करोड़ रुपये हो गया है. झारक्राफ्ट की स्थिति पर पिछले दिनों हाइकोर्ट के जज ने भी टिप्पणी कर दुख जताया था. 2008 से शुरू हुए झारक्राफ्ट रेशम व सूती के वस्त्र, हैंडीक्राफ्ट से लेकर तमाम कलात्मक वस्तुओं का निर्माण करता है़ इसके लिए अलग-अलग कलस्टर बनाये गये थे. कुल 200 कलस्टर थे़ पर फिलहाल सिर्फ 15 ही चालू स्थिति में है़ एक कलस्टर में 50 से 100 लोगों को रोजगार मिला था. सीएफसी , पीडब्ल्यूसी में कमी कोकून से धागा बनाने के लिए सीएफसी चलाये जाते हैं. यहां महिलाएं धागा बना कर महीने में चार से पांच हजार रुपये कमा लेती थी. एक सीएफसी में 25 से 30 महिलाएं काम करती हैं. झारक्राफ्ट ने ऐसे 131 सीएफसी खोले गये थे. आज सिर्फ 25 ही चल रहे हैं. बताया जाता है कि कई लोग दूसरे रोजगार में लग गये हैं या सीएफसी में कोकून की आपूर्ति कम होने के कारण सीएफसी का संचालन खतरे में पड़ गया़ झारक्राफ्ट की 162 प्राइमरी वीभर्स कोअॉपरेटिव सोसायटी(पीडब्ल्यूसी) का निबंधन एक साल पहले हुआ था. पीडब्ल्यूसी में बुनकर वस्त्र बनाते हैं. एक पीडब्ल्यूसी में 50 से 100 कारीगर काम करते हैं. इसमें 117 पीडब्ल्यूसी बंद हो गये हैं. फिलहाल 45 ही चल रहे हैं. दो लाख महिलाओं का एसएचजी नहीं बन सकाझारक्राफ्ट की योजना 50 हजार सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाने की थी़ सेल्फ हेल्प ग्रुप के माध्यम से हैंडीक्राफ्ट से लेकर वस्त्र बनाने तक का काम किया जाना था. सेल्फ हेल्प ग्रुप में करीब दो लाख महिलाओं को जोड़ने की योजना थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने इसकी शुरुआत की थी. वर्तमान में केवल 45 एसएचजी ही बन सका है. एक एसएचजी में कम से कम 20 महिलाएं रहती हैं. एसएचजी को काम करने के लिए नाबार्ड से लोन दिलाने की बात भी थी. पर इस योजना को धरातल पर नहीं उतारा जा सका. नहीें होती क्लोज मॉनिटरिंग उद्योग विभाग के एक अधिकारी ने बताया, दरअसल अब झारक्राफ्ट में क्लोज मॉनिटरिंग नहीं होती. झारक्राफ्ट अपने उत्पादों को बाजार के अनुरूप नहीं बना पा रहा है. कई डिजाइनर हटा दिये गये हैं. नये डिजाइन तैयार नहीं हो रहे हैं. इस कारण बाजार में झारक्राफ्ट के उत्पादों की मांग घटी है. दूसरी ओर सरकार की योजनाओं को पूरा करने पर भी झारक्राफ्ट को 10 प्रतिशत का सुपरविजन चार्ज मिलता था. झारक्राफ्ट सरकार की कोई योजना नहीं ले रहा है. पिछले वर्ष बीसीसीएल द्वारा 126 गांवों में सीएसआर के लिए 200 करोड़ की योजना का प्रस्ताव झारक्राफ्ट को दिया गया था. पर झारक्राफ्ट प्रबंधन ने इसमें कोई रुचि नहीं दिखायी. जबकि इस योजना से झारक्राफ्ट को कम से कम 20 करोड़ रुपये सुपरविजन चार्ज के रूप में मिलते. दूसरी ओर, झारक्राफ्ट सरकार में आपूर्ति के लिए अॉर्डर लेने में रुचि नहीं दिखा रहा है. सरकार की योजनाओं में धोती-साड़ी, स्कूल ड्रेस व अस्पतालों में कंबल व बेडशीट आपूर्ति करने के काम झारक्राफ्ट ने छोड़ दिये. सरकारी कार्यालयों में आपूर्ति के लिए झारक्राफ्ट को प्राथमिकता दी जाती है. इसके बावजूद आपूर्ति के अॉर्डर लेने में प्रबंधन रुचि नहीं ले रहा है.

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