-दीपक-
रांचीः झारखंड सरकार और बीआइटी मेसरा के साथ हुए समझौते के नवीकरण पर पुनर्विचार किया जा रहा है. वित्तीय वर्ष 2012-13 से ही समझौता नवीकरण का मामला लंबित है. राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यपाल के सलाहकार के निर्देश पर नवीकरण पर फिर से विचार करने का आदेश दिया गया था. राष्ट्रपति शासन के दौरान ही मुख्य सचिव आरएस शर्मा के निर्देश पर विज्ञान, प्रावैधिकी विभाग के सचिव के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच कमेटी भी बनी थी.
यह कमेटी बीआइटी मेसरा को दिये गये अनुदान और झारखंड कोटे के छात्रों के नामांकन पर विचार कर रही है. अब तक कमेटी की चार बैठकें भी हो चुकी हैं. विज्ञान प्रावैधिकी विभाग में बीआइटी के साथ हुए समझौते के नवीकरण पर फिर से विमर्श किया जा रहा है. जल्द ही इस पर कार्रवाई पूरी कर ली जायेगी. समझौते का नवीकरण नहीं होने से बीआइटी मेसरा को पिछले वर्ष लगभग 15 करोड़ रुपये का अनुदान भी नहीं मिल पाया था.
क्या होगा : समझौते के तहत बीआइटी की कुल सीटों में से 50 प्रतिशत सीटों पर झारखंड के मेधावी छात्रों का दाखिला होगा. गैर तकनीकी शिक्षण संस्थान का सहायक अनुदान भी देने का मार्ग प्रशस्त हो जायेगा.
मिल चुका है 168.14 करोड़ रु का अनुदान
बीआइटी मेसरा और इसके एक्सटेंशन सेंटर (देवघर और दुमका) के लिए अब तक 168.14 करोड़ रु का अनुदान दिया गया है. अनुदान की राशि झारखंड सरकार की ओर से वर्ष 2001-02 से दी गयी है. 2011-12 में दुमका परियोजना के लिए दिये गये 18.79 करोड़ रुपये सरकार ने वापस ले लिये थे. झारखंड सरकार ने संस्थान को वित्तीय वर्ष 2005-06 को छोड़ सभी वित्तीय वर्षो में मंहगाई भत्ते के रूप में 41.80 करोड़ रुपये दिये. संस्थान में दाखिले (एडमिशन) की क्षमता बढ़ाने के लिए लगातार तीन वर्षो तक 20.79 करोड़ रुपये दिये गये. संस्थान को विश्व बैंक संपोषित प्रोग्राम के लिए 2.44 लाख और बिजली कड़कने की रोकथाम से संबंधित विधि विकसित करने के लिए 75 लाख रुपये दिये गये.