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ओके:::अनगड़ा : पर्यटकों के स्वागत के लिए जोन्हा व सीताफॉल सजधज कर तैयार

ओके:::अनगड़ा : पर्यटकों के स्वागत के लिए जोन्हा व सीताफॉल सजधज कर तैयारफोटो जोन्हाफॉल, सीताफॉल एवं पहाड़ के बीचों बीच बना बुद्ध मंदीर।अनगड़ा़ दिसंबर माह में ही लोगों पर नववर्ष का उत्साह छाने लगा है. लोग नववर्ष पर मनाने वाले वनभोज की प्लानिंग में लग गये है. नववर्ष के अवसर पर प्रकृति की गोद में […]

ओके:::अनगड़ा : पर्यटकों के स्वागत के लिए जोन्हा व सीताफॉल सजधज कर तैयारफोटो जोन्हाफॉल, सीताफॉल एवं पहाड़ के बीचों बीच बना बुद्ध मंदीर।अनगड़ा़ दिसंबर माह में ही लोगों पर नववर्ष का उत्साह छाने लगा है. लोग नववर्ष पर मनाने वाले वनभोज की प्लानिंग में लग गये है. नववर्ष के अवसर पर प्रकृति की गोद में बसे जोन्हाफॉल एवं सीताफॉल पर्यटकों के स्वागत के लिए सजधज कर तैयार है. प्रतिवर्ष हजारों लोग नये साल पर पिकनिक मनाने यहां पहुंचते हैं. 15 जनवरी तक पर्यटकों की भीड़ रहती है. यहां एयरटेल, बीएसएनएल व रिलायंस की मोबाइल सेवा काम करती है. किसी प्रकार की असुविधा होने पर अनगड़ा थाना के मो 9431706180 पर सूचना दी जा सकती है.जोन्हाफॉल : जोन्हाफॉल रांची शहर से 40 किमी दूर स्थित है. यह रांची-पुरुलिया मार्ग से जुड़ा है. रेलमार्ग से भी यहां लोग आते हैं. जोन्हा स्टेशन व गौतमधारा स्टेशन यहां से नजदीक है. फॉल की ऊंचाई 140 फीट है. जोन्हाफॉल सबसे सुरक्षित पर्यटन स्थल माना जाता है. यहां पर्यटन मित्र व ग्रामीण पर्यटकों की सेवा में उपलब्ध होते हैं. प्रशासन की ओर से भी सुरक्षा बल तैनात किये जाते हैं. सरकार ने यहां सुंदरीकरण के कई कार्य किये हैं. पक्की सड़क यहां तक पहुंचती है. लोग 500 सीढ़ियां उतर कर मनमोहक दृश्य का आनंद उठाते हैं. परिवार के साथ झारखंड, बिहार व पश्चिम बंगाल सहित देश के कई हिस्सों से लोग यहां आते हैं. यहां बौद्ध धर्म के कई चिह्न मौजूद हैं. पहाड़ी पर भगवान बुद्ध का एक प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर का निर्माण राजा बलदेवदास बिड़ला द्वारा पहाड़ को खोद कर कराया गया था. यहां मुख्य मार्ग के किनारे मंदिर एवं धर्मशाला का भी निर्माण कराया गया है. ग्रामीण मंदिर में प्रतिदिन पूजा-अर्चना करते हैं. मान्यता है कि भगवान बुद्ध कभी यहां आये थे़ उनके नाम पर ही इस फॉल का नाम गौतमधारा पड़ा था. गौतमधारा जोन्हाफॉल का ही पुराना नाम है. फॉल के समीप भोजन के लिए कैंटीन व कई ढाबे हैं. सीताफॉल : रांची से सीताफाॅल की दूरी 44 किमी है. जोन्हाफॉल से यह चार किमी दूरी पर स्थित है. यह फॉल निर्जन व सुनसान जगह पर स्थित है. फॉल की ऊंचाई 300 फीट है. यहां स्थित एक प्राचीन मंदिर में माता सीता के पदचिह्न साक्षात हैं. दंत कथा के अनुसार, वनवास के समय माता सीता व लक्षमण के साथ प्रभु श्रीराम यहां कुछ दिन रूके थे. माता सीता इसी झरने के पानी से रसोई तैयार करती थी. पक्की सड़क फॉल तक पहुंचती है. लोग 350 सीढ़ियां उतर कर फॉल का मनमोहक दृश्य का आनन्द उठाते हैं. नये साल के मौके पर प्रशासन की ओर से यहां सुरक्षा व्यवस्था की जाती है. जंगलों व पहाड़ों से घिरे होने के कारण यह फॉल अन्य फॉलों के अपेक्षा ज्यादा खूबसूरत है.

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