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सरकार के आदेश की हो रही गलत व्याख्या, पूरे राज्य में रजिस्ट्री प्रभावित

रांची: पूरे राज्य में रजिस्ट्री प्रभावित है़ जिलों में सरकार के आदेश की गलत व्याख्या की जा रही है. रजिस्ट्री के लिए जमीन के खतियान, म्यूटेशन जैसे कागजात का सत्यापन आवश्यक बता कर आम लोगों को परेशान किया जा रहा है. रजिस्ट्री के तहत सरकार को राजस्व देने के लिए भी लोगों को अधिकारियों व […]

रांची: पूरे राज्य में रजिस्ट्री प्रभावित है़ जिलों में सरकार के आदेश की गलत व्याख्या की जा रही है. रजिस्ट्री के लिए जमीन के खतियान, म्यूटेशन जैसे कागजात का सत्यापन आवश्यक बता कर आम लोगों को परेशान किया जा रहा है. रजिस्ट्री के तहत सरकार को राजस्व देने के लिए भी लोगों को अधिकारियों व बाबूओं से मिन्नतें करनी पड़ रही है़ बार-बार रिकार्ड रूम, सीओ कार्यालय के चक्कर के बाद भी घूस देनी पड़ रही है. कागजात के सत्यापन के नाम पर पूरे राज्य में अवैध कमाई का धंधा चल रहा है़.
जमीन के साथ फ्लैटों की खरीद-बिक्री भी प्रभावित : रांची के उपायुक्त द्वारा एसएआर कोर्ट से बंदोबस्त भूमि और लीज की जमीन का निबंधन सत्यापन के बाद करने का आदेश दिये जाने से जमीन की खरीद-बिक्री प्रभावित हुई ही है, बहुमंजिली इमारतों के फ्लैटों पर भी इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है. फ्लैटों की खरीद-बिक्री का निबंधन कराने के लिए जमीन से संबंधित कागजात भी दिखाने पड़ते हैं. राजधानी और आसपास बड़ी संख्या में कंपनसेशन की जमीन पर बहुमंजिली इमारत बनाये गये हैं. लीज की भूमि पर भी निर्माण किये गये हैं. इस तरह की जमीन पर बने फ्लैट खरीदनेवालों को अब रजिस्ट्रेशन कराने में परेशानी उठानी पड़ रही है. फ्लैट की दोबारा खरीद-बिक्री के बाद रजिस्ट्रेशन कराना भी कठिन हो गया है. जमीन की जांच कर सक्षम पदाधिकारी से सत्यापन कराने के बाद ही रजिस्ट्री की प्रक्रिया आगे बढ़ती है.
क्या है सरकार का आदेश
राज्य सरकार ने शिड्यूल एरिया रेगुलेटरी (एसएआर) कोर्ट से बंदोबस्त (कंपनसेशन या सेटलमेंट), लीज पर दी गयी जमीन और गैर मजरुआ भूमि की रजिस्ट्री के लिए कागजात का सत्यापन अनिवार्य किया है. सरकार के आदेश के आलोक में उपायुक्तों ने जिला अवर निबंधक को संबंधित पदाधिकारी से बिना सत्यापन कराये एसएआर कोर्ट द्वारा बंदोबस्त कर दी गयी भूमि और लीज की जमीन की रजिस्ट्री नहीं करने के लिए पत्र लिखा है. उपायुक्तों ने निबंधक को गैर मजरुआ भूमि संबंधित सूची भेजी है. साथ ही एसएआर कोर्ट के आदेश पर बंदोबस्त की गयी जमीन, उस पर किये गये निर्माण की खरीद-बिक्री, लीज पर दी गयी जमीन और गैर मजरुआ जमीन की रजिस्ट्री के लिए बिना सत्यापन रजिस्ट्री नहीं करने का निर्देश दिया है.
हो क्या हो रहा है
क्रेता-विक्रेता जमीन या फ्लैट की रजिस्ट्री के लिए सहायक निबंधक के पास कागजात जमा कर रहे हैं. रजिस्ट्रार संबंधित जमीन के कागजात सीओ या अन्य सक्षम पदाधिकारियों के सत्यापन के लिए भेज रहे हैं. सक्षम पदाधिकारी जमीन के रिकार्ड से दिये गये कागजात का मिलान करता है. अदालत से संबंधित मामलों में आदेश की असली प्रति के रिकार्ड से मिलान करता है. सबकुछ सही पाये जाने पर संबंधित पदाधिकारी कागजात सत्यापित करता है. उसके बाद ही रजिस्ट्रार द्वारा रजिस्ट्री की अनुमति दी जाती है.
होना क्या चाहिए
जमीन या फ्लैट की रजिस्ट्री के लिए सरकार के नियमों का पारदर्शी तरीके से पालन होना चाहिए. रैयती जमीन के मामले में क्रेता-विक्रेता द्वारा प्रस्तुत किये गये कागजात के आधार पर रजिस्ट्री होनी चाहिए. सहायक निबंधक पंजी-दो देख सकते हैं. खतियान की भी जांच की जा सकती है. जबकि, अदालत के आदेश से बंदोबस्त की गयी जमीन, लीज की जमीन या गैर मजरुआ जमीन की रजिस्ट्री के कागजात का समयबद्ध सत्यापन होना चाहिए. निर्धारित समय तक रजिस्ट्री नहीं होने पर कारण बताते हुए उसे खारिज कर देना चाहिए.
पहले क्या होता था
जमीन या फ्लैट की रजिस्ट्री कराने के लिए क्रेता-विक्रेता रजिस्ट्रार के पास आवेदन देते थे. अपने पक्ष में कागजात प्रस्तुत करते थे. इसके आधार पर रजिस्ट्री कर दी जाती थी.

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