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बीमार बलमदीना एक्का की इच्छा, मेरे पति अलबर्ट एक्का की अस्थि को खोज कर झारखंड लाया जाये

रांची: परमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना एक्का अस्वस्थ हैं. बूढ़ी हो गयी हैं. उन्होंने इच्छा व्यक्त की है कि उनके पति शहीद अलबर्ट एक्का की अस्थि को झारखंड (जारी गांव, गुमला) लाया जाये. बीमार बलमदीना ने उनसे मिलने गये शुभचिंतकों से कहा- हम चाहत ही कि कोई हमर पति की अस्थि […]

रांची: परमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना एक्का अस्वस्थ हैं. बूढ़ी हो गयी हैं. उन्होंने इच्छा व्यक्त की है कि उनके पति शहीद अलबर्ट एक्का की अस्थि को झारखंड (जारी गांव, गुमला) लाया जाये. बीमार बलमदीना ने उनसे मिलने गये शुभचिंतकों से कहा- हम चाहत ही कि कोई हमर पति की अस्थि या माटी के भी हमर पास लाइन देवंय, ताकि उके दर्शन कइर के हम चैन से मइर सकब. इसके लिए उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास से भी आग्रह किया है कि वे इस काम में मदद करें, ताकि अलबर्ट एक्का की अस्थि (या उस स्थान की मिट्टी, जहां अलबर्ट एक्का को दफनाया गया था) को झारखंड लाया जा सके. बलमदीना एक्का ने अपने अस्थि सौंपने के लिए छह लोगों को अधिकृत भी कर दिया है.
अलबर्ट एक्का झारखंड आैर बिहार से परमवीर चक्र पानेवाले एकमात्र फाैजी हैं. उनकी पत्नी बलमदीना काे भराेसा है कि यह सरकार उनके पति की अस्थि काे अवश्य खाेज निकालेगी. यह भराेसा इस कारण भी है कि मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार वही व्यक्ति हैं, जिन्हाेंने पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त रहते हुए प्रभात खबर के साथ मिल कर अभियान चला कर उन्हें 24 अक्तूबर 1999 में सवा चार लाख रुपये की सहायता की थी.
कहां पर दफनाया गया था, स्पष्ट नहीं : यह काम कठिन है, क्योंकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि शहीद अलबर्ट एक्का को कहां पर दफनाया गया था. 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में बैटल ऑफ हिली में अलबर्ट एक्का वीरता के साथ लड़ते हुए, दुश्मनों से लोहा लेते वक्त शहीद हो गये थे. यह लड़ाई ईस्टर्न फ्रंट पर गंगासागर के पास हुई थी. वे 14 गार्ड्स (नंबर 4239746) में लांस नायक के पद पर थे. उस दौरान उन्होंने देखा था कि पाकिस्तानी फौज लाइट मशीनगन से बंकर से गोलियां बरसा रही हैं. अलबर्ट ने आगे बढ़ते हुए पहले बंकर को नष्ट किया, फिर जाकर एलएमजी पर कब्जा करते हुए उसका मुंह जाम कर दिया था. इस क्रम में उनका शरीर गोलियों से छलनी हो गया था.
लेकिन एलएमजी को कब्जे में ले लिया था. इसी दौरान वे शहीद हो गये थे. शहादत के बाद उनका पार्थिव शरीर यहां नहीं आ सका था. परिवार को उनकी शहादत की पूरी जानकारी नहीं मिली थी.
सेना के पास हाे सकता है रिकॉर्ड
जानकारी के अभाव में बलमदीना या उसके परिजन यह पता नहीं लगा सके थे कि उनके शव का अंतिम संस्कार कहां किया गया है. बलमदीना और उनके परिवार के करीबियों का मानना है कि इस काम में सेना उनकी सहायता कर सकती है, जिसके पास शायद रिकार्ड होगा.
त्रिपुरा के सीएम काे भी भेजेगी पत्र

बलमदीना उम्मीद में जी रही हैं. उन्हें भरोसा है कि त्रिपुरा के मुख्यमंत्री और झारखंड के मुख्यमंत्री उनके पति की समाधि (जहां उन्हें दफनाया गया होगा) को खोज कर वहां की मिट्टी/अस्थि को झारखंड ला कर उनकी इच्छा को पूरा कर सकते हैं. इसके लिए बलमदीना खुद एक पत्र त्रिपुरा के मुख्यमंत्री को भी लिखने जा रही हैं. बुधवार शाम में एक पत्र मुख्यमंत्री रघुवर दास को सौंपा गया है. मुख्यमंत्री से मिल कर बलमदीना का पत्र साैंपनेवालाें में टीएसी के सदस्य रतन तिर्की, आलाेक मिचियारी, जॉय बाखला, नेकी लकड़ा, डॉ अशाेक महताे आैर डॉ अंजू साहू शामिल थे.
प्रभात खबर की अपील
झारखंड समेत देश भर के सैनिकों-अफसरों, भारतीय सेना और गंगासागर (जहां अलबर्ट एक्का शहीद हुए थे) के नागरिकों से प्रभात खबर अपील करता है कि अगर उन्हें अलबर्ट एक्का की समाधि (जहां उन्हें दफनाया गया होगा) की जानकारी हो तो कृपया प्रभात खबर, रांची को सूचित करें. प्रभात खबर की भी इच्छा है कि परमवीर चक्र विजेता और झारखंड के सपूत अलबर्ट एक्का की अस्थि ससम्मान झारखंड आये.
इमेल पर भी अपनी सूचना भेज सकते हैं
sunil.chowdhery@prabhatkhabar.in

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