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ज्यादा कोयला दोहन ठीक नहीं

रांची: केंद्रीय कोयला सचिव एसके श्रीवास्तव ने कहा कि देश में कोल रिजर्व की कमी नहीं है, लेकिन ऊर्जा के स्नेत के रूप में बहुत दिनों तक इसका दोहन ठीक नहीं है. कोयला निकालने से विस्थापन, पर्यावरण व अन्य कई समस्याएं होती है. विकास के नाम पर इसका विपरीत असर भी पड़ता है. कोयला के […]

रांची: केंद्रीय कोयला सचिव एसके श्रीवास्तव ने कहा कि देश में कोल रिजर्व की कमी नहीं है, लेकिन ऊर्जा के स्नेत के रूप में बहुत दिनों तक इसका दोहन ठीक नहीं है. कोयला निकालने से विस्थापन, पर्यावरण व अन्य कई समस्याएं होती है. विकास के नाम पर इसका विपरीत असर भी पड़ता है. कोयला के गैरपारंपरिक स्नेतों (सीबीएम, सीएमएम, शेल गैस, यूजीसी) के उपयोग पर विचार करना होगा. इसका अधिक से अधिक उपयोग जरूरी है. यह पर्यावरण और विस्थापन की दृष्टि से उचित है. कोयला सचिव मंगलवार को सीएमपीडीआइ के सामुदायिक भवन में भारत में कोयले पर आधारित गैर पारंपरिक ऊर्जा के स्नेत विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में बोल रहे थे.

सचिव ने स्वीकार किया कि कोल ब्लॉक से गैस निकालने के मामले में पेट्रोलियम मंत्रलय से बात चल रही है. पेट्रोलियम मंत्रलय से ग्रीन सिगनल मिलते ही कोल इंडिया इस दिशा में व्यापक रूप से काम करेगी. 33 कोल ब्लॉकों से सीबीएम निकालने की रिपोर्ट तैयार हुई है, जिसमें से मात्र तीन में से ही उत्पादन हो रहा है.

भारत में सीबीएम की काफी संभावना
यूनाइटेड स्टेट इनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी (यूएसइपीए) की प्रोग्राम मैनेजर डॉ जेनी सोमर्स ने कहा कि भारत में सीबीएम की जबरदस्त संभावना है. यहां अच्छे इंजीनियर और जियोलॉजिस्ट हैं. इसके लिए भारत के हाइड्रो कार्बन निदेशालय और कोयला मंत्रलय को मिलकर काम करना चाहिए. इस दिशा में यूएसइपीए ने कई अध्ययन किये हैं. पर्यावरण की दृष्टि से भी यह काफी महत्वपूर्ण है. सीएमपीडीआइ के सीएमडी एके देबनाथ ने कहा कि सीबीएम के लिए कंपनी ने अच्छा लैब का निर्माण किया है. पूरे विश्व में सीबीएम निकालने के लिए काम हो रहा है. कंपनी इस मामले में किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है. अतिथियों का स्वागत निदेशक आरके चोपड़ा तथा धन्यवाद ज्ञापन निदेशक एस शरण ने किया. संचालन राजीव लोचन बक्शी ने किया. इस सेमिनार में सीसीएल के सीएमडी गोपाल सिंह, एसइसीएल के सीएमडी एन कुमार, एमसीएल के सीएमडी ए एन सहाय. एनसीएल की सीएमडी श्रीमती एस साहू, कोल इंडिया के निदेशक व निजी संस्थानों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे.

सीबीएम-सीएमएम पर पेट्रोलियम मंत्रलय की नजर
हाइड्रोकार्बन निदेशालय के महानिदेशक आरएन चौबे ने कहा कि ऊर्जा की जरूरत को पूरा करने के लिए कोयला जरूरी है. पेट्रोलियम मंत्रालय की नजर सीबीएम, सीएमएम, शेल गैस और शेल ऑयल पर भी है. हम प्रयास कर रहे हैं कि इसका जल्द से जल्द व्यापारिक रूप से दोहन हो. इसके लिए पॉलिसी भी बनायी गयी है. सीएमपीडीआइ ने इस दिशा में बेहतर काम किया है.

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