रांची : फरजी प्रमाणपत्र बनानेवाले गिरोह के सरगना अयोध्या पांडेय को पकड़ने में पुलिस नाकाम रही है. फरजी अभ्यर्थियों ने कोडरमा जिले के सतगावां के अयोध्या पांडेय से प्रमाण पत्र लेने की बात कही है. गिरिडीह सदर थाना में अयोध्या पांडेय के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की गयी है़.
उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने छापामारी भी की, लेकिन वह फरार हो गया है़ जब तक अयोध्या पांडेय की गिरफ्तारी नहीं होती, तब तक यह पता नहीं चल पायेगा कि कितने अभ्यर्थियों ने उससे फरजी प्रमाण पत्र लिया है़ प्रथम चरण से लेकर अब तक लगभग 50 फरजी अभ्यर्थी काउंसलिंग में पकड़े जा चुके हैं. सबसे अधिक धनबाद में 13 फरजी अभ्यर्थी पकड़े गये है़ं प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया अंतिम चरण में है़ 15 नवंबर को नियुक्ति पत्र वितरण किया जायेगा़ शिक्षक नियुक्ति की काउंसलिंग में फरजी अभ्यर्थियों के पकड़े जाने का सिलसिला चौथे चरण की काउंसलिंग में भी जारी रहा़
झारखंड के अलावा बिहार के भी फरजी अभ्यर्थी पकड़े गये हैं. बिहार के नवादा जिले के फरजी अभ्यर्थी पकड़े गये हैं. उन अभ्यर्थियों ने भी अयाेध्या पांडेय से ही प्रमाण पत्र लेने की बात कही है़.
सतगांवा के 36 अभ्यर्थी गिरिडीह जिले में शिक्षक नियुक्ति में चयनित हुए थे़ फरजी प्रमाण पत्र का का मामला समाने आने के बाद इनमें से अधिकांश काउंसलिंग में नहीं पहुंचे़ सूत्रों ने बताया कि फरजी प्रमाण पत्र के आधार पर केवल धनबाद व गिरिडीह में ही नहीं अन्य जिलों में भी शिक्षक नियुक्ति में शामिल होने की संभावना है़ धनबाद में काउंसलिंग के दौरान प्रमाण पत्र पर शक होने पर कड़ाई से पूछताछ की गयी तो ये पकड़ में आये. इसी तरह अन्य जिलों में भी कड़ाई से पूछताछ होती तो फरजी अभ्यर्थी पकड़े जा सकते थे. यह भी संभावना है कि फरजी अभ्यर्थी शिक्षक नियुक्ति में चुने गये हों.
सरकार गंभीर नहीं
फरजी प्रमाण पत्र के आधार पर अभ्यर्थियों के काउंसलिंग में शामिल होने के बाद भी सरकार इस मामले को लेकर गंभीर नहीं है़ शिक्षा विभाग से लेकर पुलिस तक आरोपी को पकड़ने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे. ऐसे में फरजी प्रमाण पत्र के आधार पर अभ्यर्थियों की नियुक्ति तय है़ फरजी प्रमाण पत्र बनानेवाले गिरोह के सदस्य नियुक्ति के बाद इसके सत्यापन की भी गारंटी लेते हैं. इसके लिए अलग से पैसा लिया जाता है़ संबंधित बोर्ड व विश्वविद्यालय के पदाधिकारी व कर्मी से सेटिंग होती है़ सत्यापन के लिए फरजी प्रमाण पत्र बनाने की तुलना में अधिक राशि ली जाती है़