रांची : स्वतंत्रता सेनानी व महर्षि श्री अरविंद ने खुद को देश–समाज व दुनिया के लिए समर्पित कर दिया था. उन्होंने कभी अपने लिए नहीं सोचा. यहां तक कि ईश्वर से भी उन्होंने देश हित के लिए ही शक्ति मांगी थी.
श्री अरविंद सोसाइटी के संयुक्त सह अंतरराष्ट्रीय सचिव गोपाल भट्टाचार्य ने यह बात कही. वह सोसाइटी के सदस्यों व इसकी विभिन्न शाखा प्रतिनिधियों के नौवें वार्षिक सम्मेलन में बोल रहे थे. कार्यक्रम का आयोजन श्री अरविंद आश्रम, डोरंडा में किया गया.
श्री भट्टाचार्य ने बताया कि एक बार श्री मां ने भक्तों से सवाल पूछा था. क्यों हमें श्री अरविंद को याद करना चाहिए? उन पर विश्वास करने की वजह क्या है? श्री मां ने तीन बातें कही थीं, जिससे श्री अरविंद के महर्षि व भविष्य द्रष्टा होने का पता चलता है. यह अकारण नहीं है कि भारत को आजादी 15 अगस्त को मिली. श्री अरविंद का जन्म भी वर्ष 1872 में 15 अगस्त को ही हुआ था. श्री अरविंद ने आजादी की तिथि की घोषणा पहले ही कर दी थी.
स्वतंत्रता सेनानी होने के नाते अंगरेजों ने उन्हें जेल में डाल दिया था. तब वह भगवान पर विश्वास नहीं करते थे. एक बार जेल में उनके समक्ष स्वयं भगवान श्रीकृष्ण अवतरित हुए. उन्होंने श्री अरविंद से पूछा : बताओ, तुम क्या चाहते हो? श्री अरविंद ने कहा : मैं वह कुछ भी नहीं चाहता, जो लोग अपने सुख के लिए चाहते हैं.
आप मुझे मेरे देश व देशवासियों की बेहतरी के लिए शक्ति दें. देश की आजादी से पूर्व वर्ष 1946 में ही श्री अरविंद ने भारत का भविष्य बता दिया था. आज उन्हीं सवालों व हालात से देश जूझ रहा है. इन बातों से स्पष्ट है कि श्री अरविंद असाधारण इनसान थे.
पत्रकार हरिवंश ने कहा कि हमें महर्षि को उनके अपने विचारों के लिए नहीं, बल्कि अपने लिए जानना चाहिए. अब के दौर में जब स्टालिन, लेनिन व माओ को उनके ही देश में लोग याद नहीं रखना चाहते, महर्षि के प्रति लोगों में आज भी श्रद्धा है.
आज जबकि हर घर और हर रिश्ते में चुनौती है, ऐसे में समाज को प्रेरित करने के लिए हमें महर्षि अरविंद को याद करना चाहिए. पूर्व डीजीपी जीएस रथ व रिटायर्ड पीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) एसएन त्रिवेदी ने भी अपनी बातें कही. इस दौरान सोसाइटी की स्मारिका का भी विमोचन किया गया. इससे पहले श्री अरविंद सोसाइटी के रघु राज भटनागर ने सबका औपचारिक स्वागत किया. कार्यक्रम में सोसाइटी के सदस्य व भक्त उपस्थित थे.