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केदारनाथ त्रासदी : जब टूटी हर आस, तो किया पुतले का दाह-संस्कार

रांची: उत्तराखंड की त्रासदी (केदारनाथ) में लापता हुए बरियातू के दो परिवारों के पांच लोगों का अंतिम संस्कार शनिवार को हरमू स्थित स्वर्गद्वार (मुक्तिधाम) में किया गया. दोनों ही परिवार के सदस्यों ने करीब चार महीने तक अपने लापता परिजनों का बाट जोहा. अपने स्तर पर उन्हें खोजने की हरसंभव कोशिश की. केदारनाथ समेत उत्तराखंड […]

रांची: उत्तराखंड की त्रासदी (केदारनाथ) में लापता हुए बरियातू के दो परिवारों के पांच लोगों का अंतिम संस्कार शनिवार को हरमू स्थित स्वर्गद्वार (मुक्तिधाम) में किया गया. दोनों ही परिवार के सदस्यों ने करीब चार महीने तक अपने लापता परिजनों का बाट जोहा. अपने स्तर पर उन्हें खोजने की हरसंभव कोशिश की.

केदारनाथ समेत उत्तराखंड की कई जगह का खाक छाना, पर कहीं उनका कोई सुराग नहीं मिला. परिजनों का फोटो दिखा कर वहां के लोगों से पूछताछ की, पर कुछ पता नहीं चला. धीरे-धीरे उनके लौटने की सारी उम्मीदें खत्म हो गयी. अंत में उनके अंतिम संस्कार का निर्णय लिया. शव की जगह उनके पुतलों को अर्थी पर रखा और हरमू स्थित स्वर्गद्वार में उन्हें पूरे विधि विधान के साथ अग्नि को सौंप दिया.

बरियातू के सोम विहार भरम टोली निवासी बैजनाथ सिंह, उनकी पत्नी राधिका देवी, पुत्र भीम सिंह का अंतिम संस्कार हुआ. इन्हें बैजनाथ सिंह के छोटे बेटे कृष्णा सिंह ने पिता, मां व भाई को मुखाग्नि दी. इसी मोहल्ले के रवि सिंह उर्फ अनिल सिंह और उनकी पत्नी किरण देवी को बड़े बेटे विकास सिंह ने मुखागिA दी. अंतिम संस्कार के वक्त एक बार फिर से सबकी आंखे नम हो गयी थी.

16 जून को अंतिम संपर्क
स्वर्गद्वार में मौजूद पारिवारिक मित्रों ने बताया कि दोनों परिवारों से अंतिम बार 16 जून को संपर्क हुआ था. केदारनाथ में दर्शन करने के बाद सभी निकलनेवाले थे. उसके बाद उनसे कभी बात नहीं हो सकी. संपर्क करने की सभी कोशिशें बेकार गयीं. दोनों ही परिवार रांची के 12 लोगों के साथ सात जून को गरीब रथ से दिल्ली रवाना हुए थे. दिल्ली से सभी केदारनाथ के लिए निकले. यहयात्राउनके जीवन की अंतिम यात्रा बन कर सामने आयी.

नि:शुल्क सहयोग दिया : स्वर्गद्वार के प्रबंधन का काम देखनेवाली संस्था सिटीजन फाउंडेशन ने अंत्येष्टि में सहयोग किया. फाउंडेशन के गणेश रेड्डी ने बताया कि लोगों की भावना को देखते हुए हमने सारी व्यवस्था नि:शुल्क की. केदारनाथ का हादसा सभी के लिए दुखद था. हम दुख की घड़ी में उनके साथ हैं.

विधान में है पुतलों की अंत्येष्टि : पंडित शिव
अंतिम संस्कार संपन्न करानेवाले पं शिव कुमार पांडे ने बताया कि अगर व्यक्ति लंबे समय तक लापता है, उसके लौटने की कोई उम्मीद नहीं है, तो वैदिक रीति से उनके पुतले का अंतिम संस्कार किया जा सकता है. अंतिम संस्कार के बाद कौड़ियों को गंगा में प्रवाहित किया जायेगा. इसके बाद श्रद्ध होगा.

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