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पलामू में ग्रामीणों को एकजुट कर रहे माओवादी

रांची: पलामू के मंडल डैम के निर्माण के विरोध में भाकपा माओवादी के नक्सली ग्रामीणों को एकजुट करने में जुटे हुए हैं. 28 जुलाई को नवरनागू में माओवादियों ने ग्रामीणों की बैठक बुलायी थी. इस बैठक में बातचीत का ब्योरा पुलिस के पास उपलब्ध है. मंडल डैम के निर्माण से 32 गांव डूब क्षेत्र में […]

रांची: पलामू के मंडल डैम के निर्माण के विरोध में भाकपा माओवादी के नक्सली ग्रामीणों को एकजुट करने में जुटे हुए हैं. 28 जुलाई को नवरनागू में माओवादियों ने ग्रामीणों की बैठक बुलायी थी. इस बैठक में बातचीत का ब्योरा पुलिस के पास उपलब्ध है. मंडल डैम के निर्माण से 32 गांव डूब क्षेत्र में आयेंगे. इसे कुटकू डूब क्षेत्र कहा जाता है. बैठक में डैम निर्माण के विरोध में पहले धरना-प्रदर्शन और रैली, बाद में लड़ाई का फैसला लिया गया है.

बैठक में माआेवादियाें ने ग्रामीणों ने कहा : डैम बांध दिया जायेगा, तो लाेग कहां रहेंगे. अंतिम जगह पहुंच गये हैं. इसलिए जान दे देंगे, पर जमीन नहीं देंगे. बैठक में नारा भी लगाया गया.

17 गांव के लोग विस्थापित हुए थे
मंडल डैम निर्माण के दौरान पूर्व में 17 गांव विस्थापित हो चुके हैं. बैठक में माआेवादियाें ने कहा : विस्थापितों को मुआवजा नहीं मिला. पहले कहा गया था कि गांव के हर घर से एक-एक व्यक्ति को नौकरी देंगे, लेकिन नहीं दिया. बैठक में कहा गया कि सब
मिल कर गईता-कुदाल से डैम को तोड़ देंगे.

1994 में की थी बैजनाथ मिसिर की हत्या
बैठक में माओवादियों ने कहा कि जनता सरकार बनाती है. जनता के पास हथियार है, लेकिन समझदारी नहीं. 16 अगस्त 1994 को डैम निर्माण के विरोध में बैजनाथ मिसिर की हत्या हुई थी, जिसके बाद इतने दिनों तक कोई नहीं आया. लड़ते-लड़ते पुलिस भी बैठ गयी. इस छोटे संघर्ष से बड़ी सफलता मिली.

नीलांबर-पीतांबर के परिवार को मिली जगह
ग्रामीणों की तरफ से कहा गया कि जो विस्थापित हुए, उन्हें कुछ नहीं मिला. सिर्फ नीलांबर-पीतांबर के परिवार को रहने के लिए जगह दी गयी.

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