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ठेकेदारों पर मेहरबान हैं राज्य के इंजीनियर

रांची: राज्य सरकार और उसके इंजीनियर सड़क निर्माण के काम में लगे ठेकेदारों पर मेहरबान हैं. राज्य के इंजीनियर एकरारनामा करते वक्त डीपीआर में अपने ही स्तर बदलाव लाकर ठेकेदारों को आर्थिक लाभ पहुंचा रहे हैं, जबकि सरकार अग्रिम पर सूद वसूलने के नियम को स्टैंडर्ड बिड डॉक्यूमेंट (एसबीडी) में शामिल नहीं कर उन्हें आर्थिक […]

रांची: राज्य सरकार और उसके इंजीनियर सड़क निर्माण के काम में लगे ठेकेदारों पर मेहरबान हैं. राज्य के इंजीनियर एकरारनामा करते वक्त डीपीआर में अपने ही स्तर बदलाव लाकर ठेकेदारों को आर्थिक लाभ पहुंचा रहे हैं, जबकि सरकार अग्रिम पर सूद वसूलने के नियम को स्टैंडर्ड बिड डॉक्यूमेंट (एसबीडी) में शामिल नहीं कर उन्हें आर्थिक लाभ पहुंचा रही है. प्रधान महालेखाकार(पीएजी) ने ऑडिट के दौरान इन मामलों के पकड़ में आने के बाद इसे सरकार को होनेवाले नुकसान की जानकारी दी है. पीएजी ने अपनी रिपोर्ट में सड़क निर्माण के सिर्फ तीन मामलों में सरकार को हुए 2.06 करोड़ रुपये के नुकसान को बतौर उदाहरण पेश किया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने नेशनल हाइवे निर्माण के दौरान ठेकेदारों को दिये जानेवाले अग्रिम (मोबलाइजेशन एडवांस) पर 10 प्रतिशत की दर से सूद वसूलने का नियम लागू किया है. राज्य के पीडब्ल्यूडी कोड में भी ठेकेदारों को दिये जानेवाले अग्रिम पर सूद वसूलने का नियम है, लेकिन राज्य सरकार ने इस नियम को एसबीडी में शामिल नहीं किया है.

सरकार ने ठेकेदारों के भुगतान में देर होने पर उन्हें 12 प्रतिशत की दर से सूद देने की शर्त डाल रखी है, जिससे राज्य को काफी नुकसान हो रहा है. इंजीनियरों द्वारा अपने ही स्तर से डीपीआर में बदलाव कर ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने की चर्चा करते हुए रिपोर्ट में नेशनल हाइवे (एनएच) को उदाहरण के तौर पर पेश किया गया है. इसमें कहा गया है कि मुंबई की सुप्रीम इंफ्रास्ट्रक्टर प्राइवेट लिमिटेड को इस सड़क का काम 45.31 करोड़ रुपये में दिया गया था.

एकरारनामे के तहत इस काम को 19 जुलाई 2014 तक पूरा करना था, लेकिन अब तक सिर्फ 23 प्रतिशत ही काम हुआ है. ठेकेदार द्वारा काम बंद रखे जाने की वजह सरकार ने पहले तो एकरारनामा रद्द करने की चेतावनी दी. हालांकि बाद में उसे काम पूरा करने के लिए दिसंबर 2015 तक कर समय दे दिया है. साथ ही उसे मूल्य वृद्धि (प्राइस स्क्लेशन) का लाभ दिया और इस मद में 57.82 लाख रुपये का भुगतान किया. हालांकि काम बंद रहने या देर होने की वजह ठेकेदार द्वारा समय पर कार्य स्थल पर मशीन आदि का स्थापित नहीं करना था. अ़ॉडिट में यह भी पाया गया कि कार्यपालक अभियंता ने एकरारनामा के समय अपने ही स्तर से डीपीआर में बदला‌व लाकर कुछ सामग्रियों की मात्रा बढ़ा दी थी.

इससे सरकार को 52.96 लाख रुपये का नुकसान हुआ. ऑडिट के दौरान पूछे जाने पर कार्यपालक अभियंता ने इसे नियम सम्मत बताया, लेकिन पीएजी ने कार्यपालक अभियंता की दलीलों को अमान्य कर दिया. रिपोर्ट में पथ निर्माण पीडब्ल्यूडी कोड को नकारते हुए एकरारनामे में ठेकेदार के दिये गये अग्रिम पर सूद की वसूली करने का प्रावधान नहीं डालने के हुए नुकसान के मामले में खोरी-महुआ-धनवार सराय और चैनपुर-डुमरी-महुआडांड़ सड़क के काम को बतौर उदाहरण पेश किया गया है.

इसमें कहा गया है कि अग्रिम पर सूद का प्रावधान नहीं डालने की वजह से खोरी-महुआ-धनवार सराय सड़क निर्माण में ठेकेदार को दिए गये अग्रिम पर सूद के रूप में 94.04 लाख और चैनपुर-डुमरी-महुआडांड़ सड़क में 11.88 लाख रुपये की वसूली नहीं हुई. इससे ठेकेदार को आर्थिक लाभ हुआ.

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