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निगरानी को जांच में मिले तथ्य, घोटाले के लिए हुआ था हज हाउस का निर्माण

रांची: कडरू में हज हाउस का निर्माण सरकारी रुपये की बरबादी और घोटाले के लिए किया गया था. सुनियोजित तरीके से घोटाला किया गया. इससे संबंधित तथ्य निगरानी को जांच में मिले हैं. निगरानी की रिपोर्ट के अनुसार हज हाउस का निर्माण कार्य 17 जुलाई, 2007 से आरंभ हुआ, जो 20 सितंबर, 2009 तक जारी […]

रांची: कडरू में हज हाउस का निर्माण सरकारी रुपये की बरबादी और घोटाले के लिए किया गया था. सुनियोजित तरीके से घोटाला किया गया. इससे संबंधित तथ्य निगरानी को जांच में मिले हैं.

निगरानी की रिपोर्ट के अनुसार हज हाउस का निर्माण कार्य 17 जुलाई, 2007 से आरंभ हुआ, जो 20 सितंबर, 2009 तक जारी रहा. 20 सितंबर को हज हाउस की पोर्टिको ढलाई के दौरान धस गया. इसमें कुछ मजदूर भी घायल हो गये थे. ढलाई के दौरान विभागीय अभियंता उपस्थित नहीं थे. हज हाउस निर्माण के लिए 4,88, 72,700 रुपये का जो प्राक्कलन तैयार किया गया था, उस पर कनीय अभियंता विकास कुमार ओझा, सहायक अभियंता हरिहर नाथ प्रसाद (अब मृत) और कार्यपालक अभियंता कृत्यानंद झा का हस्ताक्षर है. तकनीकी स्वीकृति तत्कालीन मुख्य अभियंता, आवास बोर्ड किरण कुजूर ने दी थी. किरण कुजूर को चाहिए था कि जांच करने के बाद ही प्राक्कलन पर स्वीकृति दें, लेकिन उन्होंने एेसा नहीं किया. इससे स्पष्ट है कि प्राक्कलन के समय ही यह निर्णय लिया गया था कि इसे विभागीय स्तर से कराना है.

हज हाउस निर्माण के लिए एक प्रकोष्ठ का गठन किया गया. इसमें मुख्य अभियंता किरण कुजूर, कृत्यानंद झा बीके लाल के अलावा अन्य लोग शामिल थे. लोक निर्माण संहिता की धारा 158 के अनुसार इस काम के लिए टेंडर निकालना आवश्यक था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. विभागीय काम में भी निर्माण सामग्री का क्रय टेंडर से होता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

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