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विधानसभा सत्र: झामुमो ने घंटे भर भी सदन को नहीं होने दिया व्यवस्थित
रांची: विधानसभा का सत्र सी-सैट की आड़ में राजनीति की भेंट चढ़ गया. शुक्रवार को घंटे भर के लिए भी व्यवस्थित तरीके से सदन नहीं चला. सदन के अंदर हो-हंगामा होता रहा. झामुमो विधायकों को जब मन किया वेल के अंदर-बाहर होते रहे. वेल में घुस कर नारेबाजी भी की. स्पीकर का आग्रह भी नहीं […]
रांची: विधानसभा का सत्र सी-सैट की आड़ में राजनीति की भेंट चढ़ गया. शुक्रवार को घंटे भर के लिए भी व्यवस्थित तरीके से सदन नहीं चला. सदन के अंदर हो-हंगामा होता रहा. झामुमो विधायकों को जब मन किया वेल के अंदर-बाहर होते रहे. वेल में घुस कर नारेबाजी भी की. स्पीकर का आग्रह भी नहीं सुना. सदन को आर्डर में लाने के लिए झामुमो विधायकों से स्पीकर बार-बार आग्रह करते रहे, लेकिन झामुमो के विधायक नहीं माने. स्पीकर नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन से भी सहयोग मांगते रहे, लेकिन झामुमो विधायकों पर इसका असर नहीं था. शुक्रवार को सत्र शुरू होते ही झामुमो विधायक सी-सैट को वापस करो, स्थानीय नीति लागू करो, सरकार की मनमानी नहीं चलेगी के नारे लगाये और वेल के अंदर घुस गये. स्पीकर का कहना था कि वह इस विषय पर चर्चा कराना चाहते हैं. सब बारी-बारी से अपनी सीट पर जा कर बोलें, लेकिन झामुमो विधायक हो-हल्ला करते रहे.
लाचार हो कर स्पीकर ने विधानसभा की प्रोसीडिंग और रिकॉर्डिंग बंद करा दी. दिन के 11.40 बजे सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी. सदन की कार्यवाही दुबारा शुरू हुई, तो झामुमो के विधायक सीधे वेल में आ गये. स्पीकर का कहना था कि मामला गंभीर है. इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए. तीन बजे मुख्मंत्री इस पर अपनी बातें रखेंगे. झामुमो विधायक चर्चा के लिए तैयार नहीं थे.
वहीं सत्ता पक्ष के राधाकृष्ण किशोर का कहना था कि आसन का सम्मान होना चाहिए. अगर चर्चा की बात हुई है, तो हमें भी अपनी बात कहने का हक है. श्री किशोर बोलते रहे, उधर झामुमो के विधायक हो-हल्ला करते रहे. सत्ता पक्ष के विरंची नारायण, अनंत ओझा, संजीव सिंह सहित दूसरे विधायक भी चर्चा की मांग करते रहे. दूसरी पाली में राधाकृष्ण किशोर, शिवशंकर उरांव, अनंत ओझा ने टोका-टोकी के बीच अपनी बात रखी. सत्ता पक्ष का कहना था कि झामुमो घड़ियाली आंसू बहा रहा है.
झामुमो के हो-हल्ला में कांग्रेस-झाविमो के विधायक चुप-चाप बैठे रहे. दूसरी पाली में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सरकार का पक्ष रखा. इसके बाद सत्रावसान हुआ.
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