रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने सोमवार को मांडर के एक गांव में डायन के नाम पर पांच महिलाओं की निर्मम हत्या के मामले को गंभीरता से लेते हुए जनहित याचिका में तब्दील कर दिया. राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
खंडपीठ ने राज्य सरकार, समाज कल्याण, मानव संसाधन विकास विभाग आदि के सचिव को प्रतिवादी बनाया. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने राज्य में डायन के नाम पर हो रही हत्याओं को कलंक के समान बताया. खंडपीठ ने कहा कि यह अत्यंत गंभीर मामला है. घटना अंधविश्वास का परिणाम है. लोगों के अंधविश्वास को खत्म करने की दिशा में जागरूकता अभियान चलाना होगा. इसे जन आंदोलन बनाना होगा. उनमें विश्वास बहाल करना होगा.
जागरूकता व शिक्षा से ही अंधविश्वास खत्म किया जा सकता है. झारखंड में पिछले पांच साल में 187 महिलाओं की हत्या हो चुकी है. लगातार घटना हो रही है. इस मामले की कोर्ट मॉनिटरिंग करेगा. खंडपीठ ने लोगों को जागरूक करने के लिए झालसा को कार्यक्रम चलाने की बात कही. कहा मीडिया का भी सहयोग लें. खंडपीठ ने कोर्ट को सहयोग करने के लिए वरीय अधिवक्ता राजीव शर्मा व अधिवक्ता सुचित्रा पांडेय को नियुक्त किया. इससे पूर्व सुचित्रा पांडेय ने खंडपीठ के समक्ष अखबारों की प्रतियां प्रस्तुत कर ध्यान आकृष्ट कराया.