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फरजी म्यूटेशन कर कटती है नकली रसीद

डीसीएलआर और सीओ कार्यालय के कर्मचारियों की मिलीभगत से चल रहा है गोरखधंधा विवेक चंद्र रांची : रांची में जमीन के म्यूटेशन की फरजी रसीद काटी जा रही है. लगान की नकली रसीद के जरिये जमीन का गोरखधंधा किया जा रहा है. राजधानी के प्रमुख इलाकों में जाली कागजातों के जरिये जमीन का कारोबार किया […]

डीसीएलआर और सीओ कार्यालय के कर्मचारियों की मिलीभगत से चल रहा है गोरखधंधा
विवेक चंद्र
रांची : रांची में जमीन के म्यूटेशन की फरजी रसीद काटी जा रही है. लगान की नकली रसीद के जरिये जमीन का गोरखधंधा किया जा रहा है. राजधानी के प्रमुख इलाकों में जाली कागजातों के जरिये जमीन का कारोबार किया जा रहा है. ताजा मामला अनुमंडल पदाधिकारी के न्यायालय की वाद संख्या एम 969/15 का है.
यह मामला कमल खलखो और हिरो हंस के बीच शहर अंचल के सिरमटोली स्थित 33 कट्ठा जमीन से संबंधित है. वाद में आवेदक कमल खलखो ने अंचल कार्यालय से निर्गत रसीद संख्या जेएन 2684789, वर्ष 2001-02 से 2013-14, निर्गत तिथि 21 मार्च 2014 संलगA किया है.
रसीद में पंजी टू की वोल्यूम संख्या एक और पेज नंबर 273 लिखा गया है. जांच के बाद पता चला कि रसीद में 205 के बाद पेज ही नहीं है. पंजी टू में भी रसीद में लिखा गया नाम मौजूद नहीं है.
जिला प्रशासन में अभी रसीद का सत्यापन प्रक्रियाधीन है. प्रक्रिया पूरी होने के बाद उपायुक्त द्वारा मामले में अग्रेत्तर कार्रवाई की जायेगी. जमीन के नकली म्यूटेशन और रसीद का इस्तेमाल केवल ठगी कर जमीन की खरीद-बिक्री में ही नहीं किया जा रहा है.
सरकार द्वारा जमीन का मालिकाना हक प्रदान करने वाले कागजातों की नकली प्रतियों का इस्तेमाल बैंकों से लोन लेने और नक्शे पास कराने में भी किया जा रहा है. अंचल कार्यालय के कर्मचारियों की मिली-भगत से नकली कागजातों पर नक्शों की स्वीकृति तक मिल जाती है. नकली कागजातों का इस्तेमाल कर बहुमंजिली इमारतें खड़ी करने तक की शिकायत उपायुक्त को मिली है.
रजिस्टर टू में नाम नहीं लेकिन कट जाती है रसीद
जाली म्यूटेशन मामले में रजिस्टर टू में नाम दर्ज किये बिना ही लगान की रसीद काट दी जाती है. लगान की रसीद में लिखे गये जमीन मालिक का नाम सरकार के रजिस्टर टू में होता ही नहीं है.
जाली रसीद में दिये गये नंबर भी पूरी तरह से फरजी होते हैं. कई बार रसीद में दिये गये रजिस्टर टू और पेज संख्या मिलते भी हैं. परंतु, असली रजिस्टर टू में रसीद पर अन्य व्यक्ति का नाम दर्ज होता है. यह पूरा काम डीसीएलआर और सीओ कार्यालय के कर्मचारियों की मिली-भगत से होता है.

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