विभाग के अपर सचिव को प्रेषित पत्र में डीसीओ ने लिखा है कि जिले में खरीफ मौसम 2014-15 में धान खरीद की सूचना विभाग को विलंब से दी गयी थी. विभाग ने जून तक पैसे नहीं दिये, तो अब किसान अपनी निजी जरूरतों, शादी-विवाह, कर्ज अदायगी तथा खरीफ मौसम की खेती के खर्च के लिए अपना धान ले गये तथा इसे खुले बाजार में बेच दिया है. देवघर जिले में अब धान का स्टॉक नहीं है, इसलिए किसानों को देने के लिए पैसे नहीं चाहिए. दरअसल विभाग धान खरीद मामले की जांच भी करा रहा है. ताजा चिट्ठी इसी के बाद लिखी गयी है.
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किसान ले गये 49 करोड़ का सरकारी धान!
रांची: देवघर के जिला सहकारिता पदाधिकारी (डीसीओ) ने खाद्य आपूर्ति विभाग को बताया है कि जिले में करीब 49.75 करोड़ रुपये का सरकारी धान किसान ले गये तथा इसे खुले बाजार में बेच दिया है. डीसीओ ने 23 जुलाई को यह सूचना दी है. उनकी चिट्ठी से ऐसा लगता है कि यह सब इतना अचानक […]
रांची: देवघर के जिला सहकारिता पदाधिकारी (डीसीओ) ने खाद्य आपूर्ति विभाग को बताया है कि जिले में करीब 49.75 करोड़ रुपये का सरकारी धान किसान ले गये तथा इसे खुले बाजार में बेच दिया है. डीसीओ ने 23 जुलाई को यह सूचना दी है. उनकी चिट्ठी से ऐसा लगता है कि यह सब इतना अचानक हुआ कि इसकी पूर्व सूचना नहीं दी जा सकी.
क्या है मामला : पलामू, गढ़वा, हजारीबाग व देवघर जिले के जिला आपूर्ति/सहकारिता पदाधिकारियों ने विभाग को सूचित किया था कि उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर करीब 4.37 लाख क्विंटल धान खरीदा है. देवघर जिले ने अकेले करीब 3.65 लाख क्विंटल धान खरीद की बात कही थी, जबकि धान खरीदने की समय सीमा 31 मार्च को ही समाप्त हो गयी थी. पदाधिकारियों ने किसानों को देने के लिए पैसे की भी मांग की थी. इससे खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी भी हैरत में थे.
जिलों के संबंधित पदाधिकारियों से पूछा गया था कि उन्होंने बगैर फंड के धान कैसे खरीद लिया. इस पर जवाब मिला कि किसानों को टोकन दे कर धान लिया गया है. अब विभाग से पैसे मिलते ही किसानों को भुगतान किया जायेगा. जवाब से विभाग संतुष्ट नहीं था. विभाग ने उपायुक्तों से इसकी रिपोर्ट मांगी थी, पर उपायुक्तों ने भी जवाब नहीं दिया. अब धान खरीद वाले सभी जिलों की विभाग जांच करवा रहा है.
होती रही है धांधली
किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद में गड़बड़ी होती रही है. झूठी खरीद की बात कई बार पुख्ता हुई है. चावल मिल मालिकों के साथ मिल कर जिला सहकारिता तथा जिला आपूर्ति पदाधिकारियों ने खूब अनियमितता की, पर किसी का बाल बांका भी नहीं हुआ. अपवाद छोड़ संबंधित जिले के उपायुक्तों ने भी गड़बड़ी से आंखें फेर ली. चावल मिलों पर भी अभी करीब 80 करोड़ रुपये बकाया है. मिल मालिकों ने धान लेकर इसके बदले सरकार को चावल नहीं दिया है.
धान खरीदने वाले जिले
जिला धान (क्विंटल में) कीमत (1360 रु/क्विंटल की दर से)
हजारीबाग 61539.93 8.37 करोड़
देवघर 365786.25 49.75 करोड़
पलामू 5605.39 76.23 लाख
गढ़वा 4391.07 59.72 लाख
कुल 4.37 लाख क्विंटल 59.47 करोड़
पहले क्या-क्या हुआ
धनबाद में जांच के बाद 1.56 लाख क्विंटल धान कम मिला था
जिला सहकारिता, जिला आपूर्ति व जिला कृषि पदाधिकारी पर पलामू में दर्ज हुई थी प्राथमिकी
उपायुक्त पाकुड़ ने सहकारिता पदाधिकारी चंदेश्वर कापर को 2.21 करोड़ की गड़बड़ी का दोषी बताया था
जिला सहकारिता व जिला आपूर्ति पदाधिकारी चतरा (रविशंकर पांडेय व मयूख) पर 2.8 करोड़ डुबाने का आरोप
रामगढ़ में 1.66 करोड़ का धान उपायुक्त की जांच में खरीद से कम पाया गया था
सहकारिता पदाधिकारी गुमला ने भी 18 हजार क्विंटल धान किसानों द्वारा जबरन ले जाने की बात कही थी
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