वाशिंगटन. नर-वानरों के लिए इबोला के बचाव करनेवाला सूंघने वाला टीका विकसित किया गया है. मानव पर इसका जल्द ही क्लिनिकल परीक्षण किया जा सकता है. यह पहला मौका है, जब एयरोसोल आधारित किसी दवा का परीक्षण इबोला के टीके या किसी वाइरल हेमोरेजिक बुखार के टीके के रूप में किया जा रहा है. द यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास मेडिकल ब्रांच (यूटीएमबी) और यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ के वैज्ञानिकों के एक संयुक्त दल ने नये टीके का विकास किया है. हाल के अध्ययनों में पाया गया है कि श्वसन नलिका पर श्लेष्मा झिल्ली (म्यूकस मेंबरेन) की जो परत होती है, उससे इबोला वायरस के संपर्क से संक्रमण होता है. इससे संकेत मिलते हैं कि श्वसन नलिका की परत वाइरस के प्रवेश का अहम जरिया है. अध्ययन की शीर्ष लेखक यूटीएमबी की मिशेल मेयर ने कहा, ‘इबोला के लिए सूई मुक्त सूंघने वाले टीके का कुछ खास फायदा है. टीकाकरण के लिए प्रशिक्षण कर्मियों की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह अध्ययन ‘जर्नल ऑफ क्लिनिकल इन्वेस्टिगेशन’ में प्रकाशित हुई है.
इबोला के लिए सूंघने वाला टीका ईजाद किया गया
वाशिंगटन. नर-वानरों के लिए इबोला के बचाव करनेवाला सूंघने वाला टीका विकसित किया गया है. मानव पर इसका जल्द ही क्लिनिकल परीक्षण किया जा सकता है. यह पहला मौका है, जब एयरोसोल आधारित किसी दवा का परीक्षण इबोला के टीके या किसी वाइरल हेमोरेजिक बुखार के टीके के रूप में किया जा रहा है. द […]
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