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कॉमर्स में तीन हजार विद्यार्थियों पर तीन शिक्षक
डोरंडा कॉलेज : जब संस्थानों का ही हाल बेहाल, कैसे की जायेगी राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात रांची विश्वविद्यालय ने हाल ही में अपना 55वां स्थापना दिवस मनाया. इन वर्षो में विश्वविद्यालय के अंतर्गत चलनेवाले अधिकतर महाविद्यालयों की हालत खस्ता हुई है. कई कॉलेजों में तो मूलभूत सुविधाएं भी विद्यार्थियों को नहीं मिल रही […]
डोरंडा कॉलेज : जब संस्थानों का ही हाल बेहाल, कैसे की जायेगी राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात
रांची विश्वविद्यालय ने हाल ही में अपना 55वां स्थापना दिवस मनाया. इन वर्षो में विश्वविद्यालय के अंतर्गत चलनेवाले अधिकतर महाविद्यालयों की हालत खस्ता हुई है. कई कॉलेजों में तो मूलभूत सुविधाएं भी विद्यार्थियों को नहीं मिल रही है.
एक तरह से सिर्फ डिग्री देनेवाले संस्थान बन कर रह गये हैं ये कॉलेज. कॉलेजों का हाल श्रृंखला में हम एक-एक कर सभी कॉलेजों की स्थिति जानने की कोशिश करेंगे. इसकी पहली कड़ी में आज जानें डोरंडा कॉलेज का हाल.
रांची :1962 में डोरंडा कॉलेज का निर्माण हुआ. रांची कॉलेज और रांची वीमेंस कॉलेज के बाद इसका निर्माण हुआ, लेकिन देखरेख के अभाव में कॉलेज कैंपस की स्थिति सही नहीं है. कॉलेज को फंड न मिल पाने के कारण आज भी कैंपस कंटीले तार से घेरा गया है. कॉलेज कैंपस की देखरेख के साथ नये निर्माण की आवश्यकता है.
भौतिकी विषय में एक शिक्षक हैं, जबकि तीनों पार्ट में लगभग 150 विद्यार्थी हैं. जो शिक्षक हैं, उन्हें एनएसएस का भार मिला हुआ है. इसी प्रकार रसायनशास्त्र में एक शिक्षक हैं और तीनों पार्ट में 150 विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं.
कॉमर्स में तीन शिक्षक लगभग तीन हजार विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं. इसी प्रकार गणित विषय में दो शिक्षक हैं, जिसमें एक बीमार ही रहते हैं. इस विषय में लगभग तीन सौ विद्यार्थी हैं. पठन-पाठन का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि लगभग नौ हजार विद्यार्थियों के लिए 50 शिक्षक हैं. कॉलेज में स्थायी कर्मचारियों की संख्या लगभग 12 है, जबकि 60 कर्मचारियों की आवश्यकता है.
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