एजेंसियां, नयी दिल्लीनेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) की ओर से किये गये सर्वे में यह बात सामने आयी है कि भारत के ग्रामीण इलाकों के मुकाबले शहरों में लोग ज्यादा बीमार पड़ते हैं. 15 दिनों तक किये गये इस सर्वे में पता चला कि गांवों में प्रति 1000 लोगों में से 89 लोग बीमार पड़े जबकि शहरों में यह आंकड़ा 118 पाया गया.एलोपैथी को लेकर लोगों में भरोसाइस सर्वे में एक और बात सामने आयी कि देश में स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने का जिम्मा प्राइवेट सेक्टर पर है. देश के नागरिक 70 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवाएं प्राइवेट सेक्टर से लेते हैं. एक और चौंकाने वाली बात सामने आयी है वो यह कि शहरी और ग्रामीण जनसंख्या का 90 प्रतिशत भाग एलोपैथी चिकित्सा पद्धति को अपनाता है. यह हाल तब है जबकि अन्य चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार में एक अलग विभाग बनाया गया है.स्वास्थ्य होता नजरअंदाजअगर अस्पताल में भरती होने की बात करें तो सर्वे में सामने आया है कि एक साल के भीतर शहरों में रहने वाले 4.4 प्रतिशत लोग अस्पताल में भरती हुए. जबकि ग्रामीण इलाकों में एक साल के भीतर केवल 3.5 प्रतिशत लोग अस्पताल में भरती हुए. यह काफी हैरानी की बात है कि 86 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या और 82 प्रतिशत शहरी जनसंख्या किसी सरकार के स्वास्थ्य संबंधी खर्च से जुड़ी योजना का हिस्सा नहीं है.
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शहरों में रहने वाले ज्यादा पड़ते हैं बीमार
एजेंसियां, नयी दिल्लीनेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) की ओर से किये गये सर्वे में यह बात सामने आयी है कि भारत के ग्रामीण इलाकों के मुकाबले शहरों में लोग ज्यादा बीमार पड़ते हैं. 15 दिनों तक किये गये इस सर्वे में पता चला कि गांवों में प्रति 1000 लोगों में से 89 लोग बीमार पड़े […]
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