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उत्पाद विभाग के दारोगा की कमाई लाख रुपये महीना !

रांची : राज्य में उत्पाद विभाग का एक-एक दारोगा महीने में एक लाख रुपये से अधिक केवल घूस से कमाता है. शराब की सभी दुकानों से उत्पाद विभाग के अफसर, दारोगा घूस की तय राशि हर महीने वसूलते हैं. यह राशि उत्पाद विभाग में ऊपर तक बंटती है. वसूली के एवज में उत्पाद विभाग के […]

रांची : राज्य में उत्पाद विभाग का एक-एक दारोगा महीने में एक लाख रुपये से अधिक केवल घूस से कमाता है. शराब की सभी दुकानों से उत्पाद विभाग के अफसर, दारोगा घूस की तय राशि हर महीने वसूलते हैं.
यह राशि उत्पाद विभाग में ऊपर तक बंटती है. वसूली के एवज में उत्पाद विभाग के अधिकारी शराब दुकानों को संरक्षण देते हैं. प्रिंट रेट से अधिक पर शराब बेचने की छूट देते हैं. शराब बेचने का रिकॉर्ड मेंटेन करने के लिए अतिरिक्त समय देते हैं. उत्पाद विभाग के छापे की जानकारी और विभाग द्वारा किये जा रहे कार्यो की सूचना भी शराब व्यापारियों तक पहुंचाते हैं.
बिक्री को देते हैं संरक्षण: उत्पाद विभाग के दारोगा और इंस्पेक्टर ठियो, दुकानों और होटलों में अवैध रूप से शराब की बिक्री में भी सहायता करते हैं. अकेले रांची और आस-पास के इलाकों में अवैध रूप से शराब परोसने के लिए करीब एक हजार होटल/ ढाबे हैं.
इन्हें स्थानीय थानों का भी संरक्षण प्राप्त होता है. देर रात तक बिक्री की अनुमति दी जाती है. होटल/ढाबों के लिए महीने में एक हजार रुपये की रकम तय है. इसकी वसूली का जिम्मा विभाग के दारोगा का होता है. इसके अलावा उत्पात विभाग के कर्मचारी भी घूम-घूम कर वसूली करते हैं. उन्हें दो से पांच सौ रुपये तक की कमाई प्रति दुकान होती है.
एमआरपी से महंगी शराब मिलने के जिम्मेवार: शराब की लाइसेंसी दुकानों पर एमआरपी से अधिक कीमत वसूली जाती है. इसमें उत्पाद विभाग के दारोगा का हिस्सा निर्धारित रहता है. शराब की छोटी से लेकर बड़ी बोतल की बढ़ी कीमत पर निर्धारित रकम उत्पाद विभाग के दारोगा की जेब में जाती है.
नकली शराब के धंधे को भी देते हैं संरक्षण: बाजार में नकली और अवैध शराब की बिक्री के बदले विभाग के दारोगा हर महीने मोटी रकम वसूलते हैं. वह शराब के व्यापारियों को गैर लाइसेंसी होटलों और ढाबों तक शराब पहुंचाने में मदद करते हैं. इन ढाबों में नकली शराब भी पहुंचायी जाती है. नकली शराब के बॉटलिंग और धंधे की पूरी जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई नहीं करते.
मुख्यमंत्री के आदेश पर भी नहीं होती कार्रवाई
मुख्यमंत्री के निर्देश पर भी उत्पाद दारोगा पर कार्रवाई नहीं हो रही है. उत्पाद विभाग के क्लर्क अन्नू कुमार सिंह को रांची के जिला प्रशासन ने दारोगा बना दिया. गलत तरीके से दी गयी प्रोन्नति पर मुख्यमंत्री ने जांच कर कार्रवाई का आदेश दिया था. आदेश के महीने भर बाद भी जांच शुरू तक नहीं हुई.

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