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चार माह ही चलती है 11वीं की कक्षा

इंटर की बेहाल शिक्षा : सीबीएसइ स्कूलों में कक्षाएं शुरू, कॉलेजों में चल रहा है नामांकन कॉलेजों में इंटर में नामांकन में निकल जाते हैं चार माह एक जुलाई से इंटर की कक्षाएं शुरू होनी चाहिए रांची : राज्य में 10वीं बोर्ड का रिजल्ट जारी हुए एक माह से अधिक हो गया, पर राजधानी समेत […]

इंटर की बेहाल शिक्षा : सीबीएसइ स्कूलों में कक्षाएं शुरू, कॉलेजों में चल रहा है नामांकन
कॉलेजों में इंटर में नामांकन में निकल जाते हैं चार माह
एक जुलाई से इंटर की कक्षाएं शुरू होनी चाहिए
रांची : राज्य में 10वीं बोर्ड का रिजल्ट जारी हुए एक माह से अधिक हो गया, पर राजधानी समेत राज्य के कई कॉलेजों में इंटरमीडिएट में नामांकन की पहली सूची अब जारी की गयी है. कॉलेजों में इंटर में नामांकन लेने वाले 90 फीसदी से अधिक विद्यार्थी जैक बोर्ड से मैट्रिक पास होते हैं. मैट्रिक का रिजल्ट 27 अप्रैल को जारी हुआ था. रिजल्ट जारी हुए दो माह हो गये.
आइसीएसइ बोर्ड की कक्षा दसवीं का रिजल्ट 18 मई को एवं सीबीएसइ बोर्ड की कक्षा दसवीं का रिजल्ट 28 मई को जारी हुआ. अधिकांश कॉलेजों में जहां नामांकन प्रक्रिया चल रही है, वहीं अधिकतर सीबीएसइ स्कूलों में नामांकन प्रक्रिया समाप्त हो गयी है.
सभी सीबीएसइ व आइसीएसइ स्कूलों में 11वीं की कक्षाएं शुरू हो गयी हैं. कॉलेजों में जुलाई अंत तक नामांकन होता है, इस कारण कक्षाएं समय पर शुरू नहीं होतीं. जबकि एक जुलाई से इंटर की कक्षाएं शुरू होनी चाहिए. संत जेवियर कॉलेज में इंटर में नामांकन प्रक्रिया अंतिम चरण में है. 30 जून को नामांकन बंद हो जायेगा. एक जुलाई से कक्षाएं शुरू हो जायेंगी. पर अंगीभूत कॉलेजों में अभी नामांकन प्रक्रिया चलेगी.
जुलाई-अगस्त तक नामांकन चलने के कारण विद्यार्थियों का पाठय़क्रम पूरा नहीं हो पाता है. सितंबर-अक्तूबर से कॉलेजों में दुर्गा पूजा की छुट्टी हो जाती है, जो सामान्यता छठ पूजा तक दी जाती है. कॉलेजों में इंटरमीडिएट में 11वीं का शैक्षणिक सत्र अप्रैल से शुरू होता है.
अप्रैल से जुलाई तक का समय नामांकन में निकल जाता है. इसके बाद बचे हुए आठ माह में फरवरी व मार्च में इंटर परीक्षा व मूल्यांकन के कारण कक्षाएं बाधित रहती हैं. एक माह से अधिक अवकाश रहता है. ऐसे में कुल मिला कर 12 महीनों में से सात से आठ माह कक्षा नहीं चलती है. जबकि सीबीएसइ स्कूलों में रिजल्ट के पूर्व से ही नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाती है. कुछ स्कूलों में मई से कक्षाएं भी शुरू हो जाती हैं.
11 वीं की परीक्षा के नाम पर खानापूर्ति
स्कूल-कॉलेजों में 11वीं की परीक्षा के नाम पर खानापूर्ति होती है. 11वीं की परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा उपलब्ध कराया जाता है. परीक्षा से लेकर उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन स्कूल कॉलेज अपने स्तर से करते हैं. स्कूल-कॉलेज द्वारा लगभग शत-प्रतिशत विद्यार्थी को 12वीं में प्रोमोट कर दिया जाता है.
11वीं पास 40 फीसदी विद्यार्थी 12वीं में फेल
इंटरमीडिएट (11वीं) में पास लगभग 40 से 50 फीसदी आधे विद्यार्थी प्रति वर्ष 12वीं (इंटर फाइनल) में फेल कर जाते हैं. जुलाई में जिन स्कूल-कॉलेजों का 11वीं में शत-प्रतिशत रिजल्ट होता है, उन्हीं स्कूल-कॉलेज का रिजल्ट फरवरी की परीक्षा में 30 से 40 फीसदी पर आ जाता है.
11वीं में पास लगभग एक लाख विद्यार्थी प्रति वर्ष इंटर में फेल हो जाते हैं. इंटर में फेल होनेवाले विद्यार्थियों की संख्या प्रत्येक वर्ष एक लाख से अधिक रहती है. इंटर में इतनी अधिक संख्या में विद्यार्थियों का फेल होना इस बात को दर्शाता है कि 11वीं में कॉलेजों में पढ़ाई व परीक्षा में निर्धारित मापदंड का पालन नहीं किया जाता है.
राज्य में इंटरमीडिएट की पढ़ाई को व्यवस्थित करने की आवश्यकता है. इसके लिए कोई गाइड लाइन भी नहीं है. कॉलेज अपने स्तर से नामांकन लेने से लेकर कक्षा शुरू करने तक की तिथि निर्धारित करते हैं. इस कारण इसमें एकरूपता नहीं होती. संत जेवियर कॉलेज में एक जुलाई से इंटर की कक्षा शुरू हो जाती है.
फादर निकोलस टेटे, प्राचार्य, संत जेवियर कॉलेज
इंटर की पढ़ाई पर सरकार को अधिक फोकस करना चाहिए. इंटर (प्लस टू) की पढ़ाई कैरियर की दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण होती है. सरकार का ध्यान इस ओर नहीं है.शिक्षा विभाग में प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा के लिए तीन अलग-अलग सचिव स्तर से अधिकारी हों. जिससे सभी पर बराबर ध्यान दिया जा सके.
लक्ष्मी सिंह, पूर्व अध्यक्ष जैक

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