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सेस की राशि से नहीं हो रहा है मजदूरों का कल्याण

देश भर में भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के नाम से जमा है 16 हजार करोड़ से अधिक की राशिवरीय संवाददाता, रांचीभवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के नाम से वसूली जा रही सेस की राशि का खर्च मजदूरों के कल्याण में नहीं किया जा रहा है. सेस राशि के अंतर्गत मजदूरों […]

देश भर में भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के नाम से जमा है 16 हजार करोड़ से अधिक की राशिवरीय संवाददाता, रांचीभवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के नाम से वसूली जा रही सेस की राशि का खर्च मजदूरों के कल्याण में नहीं किया जा रहा है. सेस राशि के अंतर्गत मजदूरों के कल्याणार्थ योजनाएं चलायी जानी है. झारखंड में सेस की राशि में से पिछले वर्ष 30 करोड़ की राशि खर्च करने का दावा किया गया है. सेस की राशि से बीड़ी वर्कर समेत अन्य निबंधित मजदूरों का बीमा, प्रशिक्षण कार्य और अन्य कार्य कराया जाना जरूरी है. आंकड़ों के अनुसार, देश के सभी राज्यों से 16 हजार करोड़ से अधिक की राशि सेस के रूप में इकट्ठा की गयी है. इसमें से अब तक चार हजार करोड़ रुपये ही खर्च किये गये हैं. राज्य सरकारों को सभी तरह के निर्माण कार्य के तहत एक प्रतिशत सेस की वसूली करने का लक्ष्य दिया गया है. पर इसका सही तरीके से अनुपालन राज्यों में नहीं हो पा रहा है. 20 तरह की कल्याणकारी योजनाएं झारखंड में राज्य सरकार की ओर से 20 तरह की श्रमिक कल्याणकारी योजनाएं चलायी जा रही हैं. इसमें श्रमिक औजार सहायता योजना, साइकिल सहायता योजना, सिलाई मशीन सहायता योजना, मेधावी पुत्र/पुत्री छात्रवृत्ति योजना, बाल श्रम शिक्षा प्रोत्साहन योजना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम, चिकित्सा प्रतिपूर्ति योजना समेत अन्य योजना शामिल है.

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