नयी दिल्ली. मोदी सरकार के पहले 10 महीनों के दौरान ऐसे प्रोजेक्ट्स की संख्या बढ़ी है, जिन पर या तो काम ठप हो गया था या जिनसे अंतत: किनारा कर लिया गया. यह जानकारी सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआइइ) के डाटा से मिली है. हालांकि, अच्छी बात यह है कि रिवाइव्ड प्रॉजेक्ट्स की संख्या बढ़ी है. सीएमआइइ के क्वॉर्टरली डाटा से पता चलता है कि 31 मार्च 2015 को खत्म वित्तीय वर्ष में 363 प्रॉजेक्ट्स रुके हुए थे. 2013-14 में इनकी संख्या 341 थी. बीच में छोड़े गये प्रॉजेक्ट्स में भी ऐसा ही ट्रेंड है. जहां, यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान 2013-14 में कंपनियों ने 69 प्रॉजेक्ट्स को छोड़ दिया था, वहीं बीजेपी के शासन काल में इनकी संख्या बढ़ कर 101 हो गयी है. हालांकि, यह तुलना ठीक नहीं है, क्योंकि 2014-15 में पूरे साल तक भाजपा सत्ता में नहीं थी.
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मोदी राज में बढ़ी रुके प्रोजेक्ट्स की संख्या
नयी दिल्ली. मोदी सरकार के पहले 10 महीनों के दौरान ऐसे प्रोजेक्ट्स की संख्या बढ़ी है, जिन पर या तो काम ठप हो गया था या जिनसे अंतत: किनारा कर लिया गया. यह जानकारी सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआइइ) के डाटा से मिली है. हालांकि, अच्छी बात यह है कि रिवाइव्ड प्रॉजेक्ट्स की संख्या […]
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