उपायुक्त ने 17 अप्रैल को भू-अजर्न पदाधिकारी को पत्र भेज कर मामले में कार्रवाई का निर्देश दिया था, लेकिन तीन महीने गुजर जाने के बाद भी प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की. तीन महीने में महज कुछ लोगों पर प्राथमिकी दर्ज कर खानापूर्ति कर दी गयी.
वहीं, घोटाले में शामिल कर्मचारियों और अधिकारियों तक हाथ नहीं पहुंचे. उपायुक्त ने धनबाद के बंदोबस्त पदाधिकारी और उप विकास आयुक्त की जांच रिपोर्ट के आलोक में भू-अजर्न पदाधिकारी को तीन दिनों के अंदर कार्रवाई का निर्देश दिया था. उल्लेखनीय है कि झरिया पुनर्वास प्राधिकार, रिंग रोड और आइएसएम विस्तारीकरण के लिए धनबाद में जमीन अधिग्रहण किया गया. धनबाद में जमीन अधिग्रहण और मुआवजा बांटे जाने में बड़ी अनियमितता हुई थी. आदिवासियों के मुआवाजा की राशि भी बिचौलिये हड़प गये थे. जमीन की खरीद-बिक्री में सीएनटी एक्ट का भी उल्लंघन किया गया था.