रांची: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि मध्य भारत में विकास के नाम पर बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं. इन विस्थापितों को आज तक न तो पर्याप्त मुआवजा मिला है और न ही उचित पुनर्वास. झारखंड के कई मामलों में भी ऐसी स्थिति है. अब इसे सुधारने की जरूरत है. लोग अब अन्याय सहन नहीं कर सकते. झारखंड खनिज संपदा के मामले में धनी राज्य है. यहां प्राकृतिक संसाधनों की कमी नहीं है, लेकिन अपेक्षा के अनुरूप इसका विकास नही हो पाया है. प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह भी देश के 88 जिलों में नक्सल समस्या को आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती मानते हैं. समुदायों के प्रतिद्वंद्व से यह चुनौती उपजी है. गोली और बंदूक से नक्सली समस्या से नहीं निबटा जा सकता है.
श्री रमेश गुरुवार को केंद्रीय विश्वविद्यालय, ब्रांबे में आयोजित सत्ता के विकेंद्रीकरण और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास का बदलता परिदृश्य विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कई गांवों में नक्सली गतिविधियों के बावजूद विकास हुआ है. राजनीतिक इच्छाशक्ति से नक्सल गतिविधियों से निबटने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थाएं अपने आप को स्थानीय लोगों से अलग नहीं रखें. देश के आइआइटी से निकलने वाले छात्र विदेशों में सेवाएं दे रहे हैं.
भारतीय प्रबंधन संस्थान के छात्र ग्लोबल मैनेजर बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैंने कई बार आइआइएम के छात्रों से स्थानीय मुद्दों पर सोचने की बातें कही हैं. जमीन ली जाती है, लेकिन सही ढंग से उनका पुनर्वास नहीं होता. यही बाद में आक्रोश में बदल जाता है. रांची के नगड़ी का मामला इसका एक उदाहरण था. उन्होंने आइआइटी कानपुर व खड़गपुर का हवाला देते हुए कहा कि जब चारों ओर गरीबी व भूख हो, तो शिक्षण संस्थानों को समाज के साथ मिलकर समस्याओं का विश्लेषण ही नहीं समाधान भी खोजना चाहिए . इससे पूर्व आगंतुकों का स्वागत विवि के कुलपति प्रो डीटी खटिंग ने किया. धन्यवाद ज्ञापन डा राजकुमार सिंह ने किया. इस अवसर पर कई शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित थे.