नयी दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक दो जून को पेश होनेवाली अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले भी नीतिगत ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है. एसबीआइ के एक अनुसंधान पत्र में कहा गया है कि ऐसा मुद्रास्फीति घटने और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा साल के अंत में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना के मद्देनजर हो सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, ब्याज दर में यह कटौती 12 मई के बाद होने की संभावना है, जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) के आंकड़े जारी किये जाने हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि अप्रैल की मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत से कम रहन सकती है और बड़ी संभावना है कि यह करीब 4.75 प्रतिशत रहेगी. थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति घट कर शून्य से 2.7 प्रतिशत या इससे भी कम के स्तर पर आ जाने की संभावना है. अप्रैल की द्वैमासिक तिमाही मौद्रिक नीति में मुख्य दरों को स्थिर रखने से पहले आरबीआइ ने रेपो दर दो बार 0.25-0.25 प्रतिशत की कटौती कर 7.50 प्रतिशत कर दिया. रेपो दरों में कटौती मुख्य तौर पर सब्जियों और फलों की कीमत में गिरावट, अनाज की गिरती कीमत और अंतरराष्ट्रीय जिंसों तथा कच्चे तेल की कीमत घटने से प्रेरित थी.
दो जून से पहले भी रिजर्व बैंक कर सकता है ब्याज दरों में कटौती
नयी दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक दो जून को पेश होनेवाली अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले भी नीतिगत ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है. एसबीआइ के एक अनुसंधान पत्र में कहा गया है कि ऐसा मुद्रास्फीति घटने और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा साल के अंत में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की […]
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