रांची: राजनीति की मुख्यधारा से आधी आबादी अब भी दूर है. राजनीतिक पृष्ठभूमिवाले परिवारों को छोड़ दें, तो समाज की आम महिला का राजनीतिक में दखल नहीं है.
सदन से लेकर सड़क तक महिलाओं की भागीदारी को लेकर खूब हल्ला मचता है. लोकसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित करने के मुद्दे पर राजनीतिक बिसात पर गोटियां बिछायी और हटायी जाती रहीं हैं.
राष्ट्रीय पार्टियों से लेकर क्षेत्रीय दल महिला भागीदारी के लिए आवाज बुलंद करते हैं, लेकिन अपने ही दलों में महिलाओं को जगह नहीं दे पाते हैं. राजनीतिक दलों के अंदर प्रदेश और जिला स्तर तक की कमेटी 33 प्रतिशत का फॉमरूला लागू नहीं होता. सभी दलों ने महिला मोरचा की अलग से व्यवस्था कर उसमें ज्यादा से ज्यादा महिला एडजस्ट कर दिया जाता है. प्रदेश की मुख्य कमेटी में महिलाओं को हिस्सेदारी नहीं मिल पाती है.