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भ्रष्टाचार निरोधक कानून में संशोधन से अचंभे में विशेषज्ञ

नौकरशाहों को मिलेगी राहतएजेंसियां, नयी दिल्लीभ्रष्टाचार के मामलों में बाबुओं को अवकाश ग्रहण करने के बाद अभियोजन से बचाने का प्रावधान करनेवाले भ्रष्टाचार निरोधक कानून में प्रस्तावित संशोधन से कानूनी विशेषज्ञ अचंभित हैं. नौकरशाह महसूस करते हैं कि प्रस्तावित संशोधन से ‘नीतिगत पंगुता’ पर काबू पाने में मदद मिलेगी, लेकिन कानूनी विशेषज्ञों ने योग्य प्राधिकरण […]

नौकरशाहों को मिलेगी राहतएजेंसियां, नयी दिल्लीभ्रष्टाचार के मामलों में बाबुओं को अवकाश ग्रहण करने के बाद अभियोजन से बचाने का प्रावधान करनेवाले भ्रष्टाचार निरोधक कानून में प्रस्तावित संशोधन से कानूनी विशेषज्ञ अचंभित हैं. नौकरशाह महसूस करते हैं कि प्रस्तावित संशोधन से ‘नीतिगत पंगुता’ पर काबू पाने में मदद मिलेगी, लेकिन कानूनी विशेषज्ञों ने योग्य प्राधिकरण की मंजूरी के बगैर आपराधिक कार्रवाई से उन्हें खुली छूट देने के कदम पर सवाल उठाये हैं.एसएन धींगरा और आरएस सोढ़ी जैसे अवकाशप्राप्त जजों और वरिष्ठ वकील अनिल दीवान ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून में संशोधन को कैबिनेट की मंजूरी पर कहा कि अगर कोई नौकरशाह अवकाश ग्रहण कर लेता है या इस्तीफा दे देता है, तब भी ‘अपराधी तो अपराधी है’. संशोधन इस तरह किया जाना चाहिए था कि कानून ज्यादा व्यावहारिक बने और व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करनेवाले बाबुओं के लिए यह रुकावट बने.वहीं, नौकरशाहों ने राहत की सांस ली है. अधिकतम सजा को पांच से सात साल करने के लिए भ्रष्टाचार निरोधक कानून में प्रस्तावित संशोधन का यह कहते हुए स्वागत किया है कि ‘कुछ रुकावट होनी चाहिए, ताकि कोई व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने की हिम्मत नहीं करे.’ सेंट्रल आइएएस एसोसिएशन के सचिव संजय भूसरेड्डी ने मंजूरी के मुद्दे पर कानूनी विशेषज्ञों की राय से असहमति जताते हुए कहा कि प्रशासन में ‘नीतिगत पंगुता’ खत्म करने के लिए इस तरह का कदम जरूरी है.

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