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तिलैया अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट पर मुख्य सचिव राजीव गौबा ने रखा पक्ष, रिलायंस पावर की बात सही नहीं
तिलैया अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट पर मुख्य सचिव राजीव गौबा ने रखा पक्ष रांची : मुख्य सचिव राजीव गौबा ने कहा है कि तिलैया अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट (यूएमपीपी) से अलग होने के लिए रिलायंस पावर की ओर से दी गयी दलील सही नहीं है.रिलायंस की दलील से राज्य सरकार आश्चर्यचकित है. उन्होंने बताया कि […]
तिलैया अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट पर मुख्य सचिव राजीव गौबा ने रखा पक्ष
रांची : मुख्य सचिव राजीव गौबा ने कहा है कि तिलैया अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट (यूएमपीपी) से अलग होने के लिए रिलायंस पावर की ओर से दी गयी दलील सही नहीं है.रिलायंस की दलील से राज्य सरकार आश्चर्यचकित है. उन्होंने बताया कि रिलायंस ने तिलैया मेगा पावर प्रोजेक्ट के काम में दिलचस्पी लेनी छोड़ दी थी. कंपनी 1.77 रुपये प्रति यूनिट पर भी बिजली देने के पक्ष में नहीं थी. रिलायंस ने फॉरेस्ट क्लियरेंस के लिए किसी तरह की पहल नहीं की.
दो मार्च 2015 को जमीन के मुद्दे पर जन सुनवाई की तिथि तय की गयी थी. पर, निर्धारित तिथि पर कंपनी की ओर से जन सुनवाई में कोई शामिल ही नहीं हुआ. कंपनी ने जन सुनवाई के लिए समय की मांग की.
जमीन का मामला : मुख्य सचिव ने कहा : रिलायंस को 2500 एकड़ जमीन चाहिए थी. इसमें से 470 एकड़ हजारीबाग और कोडरमा जिले में पड़ती है. कंपनी को 1220 एकड़ वन भूमि देनी थी. रिलायंस पावर को केंद्रीय लोक उपक्रम नहीं होने की वजह से राज्य सरकार ने क्षतिपूरक वन रोपण से छूट देने पर इनकार किया था. राज्य सरकार की ओर से किये गये पत्रचार के बाद केंद्र ने पिछले साल रिलायंस से वन भूमि की कीमत लेने का निर्देश दिया.
राज्य में कभी किसी संस्थान से वन भूमि की कीमत नहीं ली गयी थी. काफी कोशिश के बाद सरकार ने रिलायंस को दी जानेवाली वन भूमि की कीमत 300 करोड़ रुपये आंकी. इसकी सूचना कंपनी को दे दी गयी थी. साथ ही कंपनी को इसकी जानकारी भी दी गयी थी कि नये भूमि अधिग्रहण नियम के तहत अगर मुआवजे का भुगतान नहीं हुआ हो, तो जमीन के लिए नये सिरे से आवेदन देना होगा. सरकार ने अधिनियम के प्रावधानों के आलोक में इसके लिए नियमावली बना कर लागू कर दी.
इसलिए कंपनी अपनी जरूरत के हिसाब से उपायुक्त के पास जमीन के लिए आवेदन दे. सरकार की ओर से दी गयी सूचना के बाद 15 अप्रैल को कंपनी के उपाध्यक्ष ने हजारीबाग के उपायुक्त से मुलाकात की. लेकिन जमीन के लिए आवेदन देने के लिए पांच मई तक का समय मांगा. 17 अप्रैल को ऊर्जा सचिव ने बैठक की थी. इसमें रिलायंस के अधिकारी शामिल हुए. पर, किसी ने जमीन का कोई मुद्दा नहीं उठाया.
बिजली टैरिफ का मामला
उन्होंने बताया : बैठक में रिलायंस की ओर से बिजली टैरिफ का मामला उठाया गया था. कहा गया था कि प्रोजेक्ट की लागत 1600 करोड़ रुपये बढ़ गयी है. इसलिए पावर टैरिफ रिवाइज करना जरूरी है. रिलायंस ने सितंबर 2013 में टैरिफ रिवाइज करने के लिए सेंट्रल इलेक्ट्रिक रेगुलेटरी कमीशन में आवेदन दे रखा है. इस पर कमीशन की ओर से कोई फैसला नहीं किया गया है.
अब क्या करेगी राज्य सरकार
मुख्य सचिव ने कहा : अब भारत सरकार इस मुद्दे पर विचार करेगी कि इस प्रोजेक्ट को कैसे पूरा किया जाये. राज्य सरकार अपनी जिम्मेवारियां निभाने के लिए पूरी तरह तैयार है.
अन्य पावर प्लांट की स्थिति बतायी
– पतरातू थर्मल पावर के मामले में एनटीपीसी के साथ ज्वाइंट वेंचर बना कर काम करने के मुद्दे को अंतिम रूप दिया जा चुका है. इसे सरकार के समक्ष रखा जा रहा है.
– देवघर में अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट के लिए कोल ब्लॉक आवंटित हो गया है. पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) ने इस परियोजना को डेवलप करने के लिए किसी एजेंसी का चयन नहीं किया है. अगले माह देवघर में इस मुद्दे पर बैठक होनेवाली है.
– नॉर्थ कर्णपुरा पावर प्रोजेक्ट के लिए जमीन और पुनर्वास की समस्या का समाधान कर लिया गया है. निर्माण कार्य शुरू हो गया है
– डीवीसी के मैथन-टू प्रोजेक्ट के तहत दूसरी इकाई का काम शुरू हो गया है
– टाटा पावर के प्रोजेक्ट का काम भी शुरू हो गया है
– इन सारी परियोजनाओं से 10000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा
प्रोजेक्ट लेने को एनटीपीसी इच्छुक
नयी दिल्ली : रिलायंस पावर के झारखंड में 36,000 करोड़ रुपये के लागतवाले तिलैया अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट से बाहर होने के बाद एनटीपीसी ने इससे जुड़ने की इच्छा जतायी है. बातचीत में एनटीपीसी के सीएमडी अरूप राय चौधरी ने कहा : झारखंड में नयी सरकार है और जमीन अधिग्रहण के मामले में चीजें बदल रही हैं.
इससे पहले समस्या थी, एनटीपीसी को भी इसका सामना करना पड़ा. समय के साथ इन मुद्दों का समाधान हो जायेगा. उन्होंने कहा : हम पहले ही पतरातू परियोजना के लिए प्रतिबद्धता जता चुके हैं.
झारखंड में अब नयी सरकार है और नये मुख्यमंत्री बेहद सक्रिय हैं. उनसे यह पूछा गया था कि अगर तिलैया यूएमपीपी की पेशकश की जाती है, तो क्या कंपनी उसमें निवेश करेगी. इस परियोजना के लिए एनटीपीसी दूसरी सबसे कम बोली लगानेवाली कंपनी थी.
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