इधर, राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया, जब सरकार ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश फिर से जारी करने का कारण बताने का प्रयास किया. इस दौरान हंगामे के बीच तृणमूल कांग्रेस के एक सदस्य को कोई दस्तावेज फाड़कर फेंकते हुए देखा गया. इस मुद्दे पर तृणमूल सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया. ग्रामीण विकास राज्य मंत्री सुदर्शन भगत ने उन परिस्थितियों के संबंध में सदन में एक विवरण रखा, जिनके कारण ‘भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार (संशोधन) अध्यादेश’ 2015 को जारी कर तत्काल कानून बनाना आवश्यक हो गया था. तृणमूल और सपा के सदस्यों ने बयान का भारी विरोध किया. सपा के सदस्यों ने सरकार विरोधी नारे लगाये. सपा और तृणमूल के सदस्य आसन के समीप आ गये. तृणमूल के डेरेक ओ ब्रायन ने अध्यादेश को दमनकारी दस्तावेज करार दिया. सरकार द्वारा सदन के पटल पर रखे गये बयान में कहा गया है कि पहले जारी अध्यादेश के प्रावधानों को कायम रखने के लिए तीन अपै्रल को अध्यादेश जारी किये जाने की जरूरत पड़ी. इसमें कहा गया है कि कई राज्य सरकारों और केंद्र सरकार की एजंेसियों ने कहा था कि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के कुछ प्रावधानों के कारण इसे लागू करना कठिन हो गया है. इसलिए भूमि अधिग्रहण के मामलों में प्रभावित परिवारों और किसानों के हितों की रक्षा करते हुए इसमें बदलाव लाना जरूरी समझा गया.
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भूमि अध्यादेश पर राज्यसभा में हंगामा
इधर, राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया, जब सरकार ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश फिर से जारी करने का कारण बताने का प्रयास किया. इस दौरान हंगामे के बीच तृणमूल कांग्रेस के एक सदस्य को कोई दस्तावेज फाड़कर फेंकते हुए देखा गया. इस मुद्दे पर तृणमूल सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया. ग्रामीण विकास राज्य […]
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