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काम होने के बाद टेंडर निकालने की तैयारी

रांची: ऊर्जा विभाग के विद्युत कार्य प्रमंडल रांची द्वारा बिजली रिपेयर के काम में बड़ी गड़बड़ी की जा रही है. इस विभाग में पहले काम व बाद में टेंडर का खेल हो रहा है. यानी सारे काम पहले करा लिये जा रहे हैं, बाद में टेंडर निकाला जाता है और आगे की प्रक्रिया करके टेंडर […]

रांची: ऊर्जा विभाग के विद्युत कार्य प्रमंडल रांची द्वारा बिजली रिपेयर के काम में बड़ी गड़बड़ी की जा रही है. इस विभाग में पहले काम व बाद में टेंडर का खेल हो रहा है. यानी सारे काम पहले करा लिये जा रहे हैं, बाद में टेंडर निकाला जाता है और आगे की प्रक्रिया करके टेंडर मैनेज किया जाता है. यह सिलसिला यहां वर्षो से चल रहा है.

हाल ही में रांची विद्युत कार्य प्रमंडल की ओर से 34 योजनाओं का टेंडर निकाला गया है. इसका टेंडर पेपर 21 अप्रैल को बिक्री होना है. निविदा खोलने की तिथि 22 अप्रैल रखी गयी है, लेकिन इन योजनाओं में से अधिकतर पर काम हो रहा है. कुछ पर काम चालू है.

डोरंडा स्थित जैप एक के अस्पताल में विद्युत अधिष्ठापन (वायरिंग) का काम 4,58,876 रुपये की लागत से कराना है. इसके लिए टेंडर निकला है, पर 19 अप्रैल की शाम चार बजे वहां काम जारी था. अधिकतर काम हो गये हैं. कुछ सामानों को इंस्टॉल किया गया है. बिजली के तार बाहर निकले हुए हैं. यानी कुछ दिनों में काम खत्म हो जायेगा. अब इस योजना के लिए टेंडर पेपर 21 अप्रैल को मिलेगा और 22 को निविदा खोली जायेगी. कुल मिला कर इंजीनियरों व अधिकारियों की मिलीभगत से यह काम चहेते ठेकेदार को दे दिया गया है. टेंडर केवल नाम के लिए होगा. काम कराने वाले ठेकेदार को ही काम मैनेज करके दे दिया जायेगा. इसी तरह अन्य जगहों पर भी काम हो गया है या हो रहा है.
चहेते ठेकेदारों के बीच बांटते हैं काम
इंजीनियर व अधिकारी की गंठजोड़ की वजह से चहेते ठेकेदारों के बीच काम बांटा जा रहा है. दिखावा के लिए टेंडर निकाला जा रहा है. जिसे काम देना होता है, उसे टेंडर भरने को कहा जाता है. उक्त ठेकेदार के साथ उसके सपोर्ट में अन्य दो ठेकेदारों से टेंडर भरवाया जाता है. बाद में इसे मैनेज करके काम करने वाले ठेकेदार को टेंडर दे दिया जाता है.
शिकायतों के बाद भी नहीं होती है कार्रवाई
इस मामले की शिकायत विभिन्न माध्यमों से आला अफसरों तक की गयी है, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं होती है. आला अफसर कार्रवाई का निर्देश देते हैं, तो नीचे के अफसर उन्हें गलत सूचना देकर मामले को टाल जाते हैं. ऐसे में यह खेल काफी अरसे से चल रहा है.
कमीशन को लेकर हो रहा है सब खेल
कमीशन को लेकर ही यह सब कुछ हो रहा है. जिस ठेकेदार को काम मिलता है, वह कमीशन में बड़ी राशि इंजीनियरों को देता है. कमीशन की राशि विभिन्न स्तरों पर बांटी जाती है. काम देने के एवज में ठेकेदार अतिरिक्त कमीशन की राशि देता है.

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