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28 जनवरी 2011 को ट्रांसफॉरमिंग झारखंड पर सौंपी थी रिपोर्ट

रांची : चार वर्ष पहले (28 जनवरी 2011) अर्थशास्त्री विवेक देबराय, लवीश भंडारी और विशाल सिंह की कमेटी ने ट्रांसफारमिंग झारखंड-द एजेंडा फोर एक्शन पर सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री अजरुन मुंडा के कार्यकाल में विकास पर गठित मुख्यमंत्री की कमेटी में ये तीनों लोग शामिल थे. कमेटी ने झारखंड के विकास को […]

रांची : चार वर्ष पहले (28 जनवरी 2011) अर्थशास्त्री विवेक देबराय, लवीश भंडारी और विशाल सिंह की कमेटी ने ट्रांसफारमिंग झारखंड-द एजेंडा फोर एक्शन पर सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री अजरुन मुंडा के कार्यकाल में विकास पर गठित मुख्यमंत्री की कमेटी में ये तीनों लोग शामिल थे.
कमेटी ने झारखंड के विकास को लेकर 169 पृष्ठों की रिपोर्ट सौंपी थी.रिपोर्ट में कमेटी ने कहा था कि झारखंड में समेकित सुधारों को लागू करने से राज्य सकल घरेलू उत्पाद की दर 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत तक पहुंच सकती है.
वर्ष 2000-2001 से लेकर 2008-09 तक झारखंड का जीएसडीपी 7.8 प्रतिशत रहा था. भौतिक आधारभूत संरचना विकसित करने से ही जीएसडीपी दो प्रतिशत की दर से बढ़ना शुरू हो जायेगा. ऊर्जा की स्थिति सुधरने से एक प्रतिशत, पब्लिक डिलीवरी सर्विसेज से एक प्रतिशत और कानूनी व्यवस्था में सुधार करने से भी एक प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है. कमेटी ने लघु अवधि, मध्यम अवधि और दीर्घकालीन योजनाओं पर अमल करने की सिफारिशें की थीं. वित्तीय घाटे को 28 प्रतिशत तक सीमित करने की अनुशंसा भी कमेटी ने की थी.
शार्ट टर्म सुधारों में बिहार सिविल सर्विस (एग्जिक्युटिव रूल्स) 1951 में रीविजन, बैकलॉग रिक्तियों को भरने, जिला दंडाधिकारी और समाहर्ता स्तर के कार्यकलापों के लिए उप विकास आयुक्तों को जवाबदेही सौंपने सहित अन्य नीतियों को बेहतर बनाने की अनुशंसा की गयी थी.
ग्रामीण विकास की योजनाओं को मुख्यमंत्री कार्यालय से नियमित निगरानी करने समेत सूचना के अधिकार कानून को प्रभावकारी बनाने का सुझाव दिया गया था. कोषागार प्रबंधन को पूरी तरह कंप्यूटरीकृत करते हुए देसी शराब को उत्पाद शुल्क मुक्त करने की बातें कही गयी थीं. मनरेगा में सामाजिक अंकेक्षण को अनिवार्य करने, हाउसिंग नीति बनाने, पथ निर्माण के लिए मेंटेनेंस कांट्रैक्ट को अनिवार्य करने की बातें सहित अन्य सुझाव भी दिये गये थे.

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