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निगरानी को मिली मुकदमे की अनुमति की फाइल

निगरानी थाने में एपीडीआरपी योजना में हुई करोड़ों की गड़बड़ी का मामला रांची : एपीडीआरपी योजना में हुई करोड़ों की गड़बड़ी में शामिल झारखंड राज्य ऊर्जा विकास निगम में पदस्थापित चार अधिकारियों सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति से संबंधित फाइल निगरानी को मिल गयी है. फाइल निगम के मुख्य अभियंता प्लानिंग विक्रमा […]

निगरानी थाने में एपीडीआरपी योजना में हुई करोड़ों की गड़बड़ी का मामला

रांची : एपीडीआरपी योजना में हुई करोड़ों की गड़बड़ी में शामिल झारखंड राज्य ऊर्जा विकास निगम में पदस्थापित चार अधिकारियों सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति से संबंधित फाइल निगरानी को मिल गयी है. फाइल निगम के मुख्य अभियंता प्लानिंग विक्रमा राम ने निगरानी को उपलब्ध करायी है.

विक्रमा राम ने निगरानी के अधिकारियों को बताया है कि एपीडीआरपी योजना में हुई करोड़ों की गड़बड़ी से शामिल अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने को लेकर बोर्ड की चार-पांच माह पहले बैठक हुई थी. बैठक में विभागीय मंत्री से भी अनुमोदन लेने पर सहमति बनी थी. लेकिन, जिन अधिकारियों पर गड़बड़ी में शामिल होने का आरोप है.

उन्होंने खुद उपस्थित होकर मामले को सीबीआइ को भेजने का अनुरोध किया था. इसके साथ ही मामले में विधि-विभाग ने निर्देश लेने का अनुरोध किया था. उल्लेखनीय है कि विद्युत विभाग जमशेदपुर के एपीडीआरपी प्रोजेक्ट के पाइकेज- डी अंतर्गत जेएसइबी के अधिकारियों के सहयोग से मेसर्स आरपीसीएल कंपनी के अधिकारियों पर निर्माण कार्य में गड़बड़ी का आरोप लगा था, जिसे लेकर निगरानी थाने में केस दर्ज है. अनुसंधान में आरोप सही पाया गया है.

हाल ही में निगरानी को यह जानकारी मिली थी कि जिनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी गयी थी, बोर्ड की बैठक में अनुमति मिल गयी है. इस पर विभागीय मंत्री से सहमति प्राप्त हो चुकी है, लेकिन विभाग की ओर से अब तक इसकी जानकारी निगरानी ब्यूरो को नहीं दी जा रही है. इसे लेकर निगरानी ब्यूरो की ओर से झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक को पत्रचार भी किया गया था. पत्रचार में वीरेंद्र प्रताप दूबे, देवाशीष महापात्र, और उमेश प्रसाद के नाम का उल्लेख था. उनके खिलाफ फिर से मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी गयी थी.

जिनके खिलाफ दर्ज है निगरानी में केस : निगरानी थाने में राज्य विद्युत बोर्ड के पुष्पेंद्र कुमार सिन्हा, उमेश कुमार, एससी श्रीवास्तव, निरंजन राय, विल्सन नीरज कुमार होरो उर्फ डब्ल्यू एनके होरो, वीपी दूबे, देवाशीष महापात्र और संजीव कुमार सहित अन्य के खिलाफ केस दर्ज है. पुष्पेंद्र कुमार सिन्हा के खिलाफ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है.

भ्रष्ट अफसरों की संपत्ति जब्त करेगी सरकार

भ्रष्ट अफसरों की संपत्ति जब्त करने के लिए सरकार नियम बनायेगी. सरकार ने इसके लिए नियम बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. गुरुवार को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में निगरानी आयुक्त और निगरानी ब्यूरो के अधिकारियों की बैठक होनी है. इसमें नियम बनाने को लेकर निर्णय लिया जा सकता है. अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2010 में निगरानी ब्यूरो की ओर से भ्रष्ट अफसरों की संपत्ति जब्त करने को लेकर एक प्रस्ताव निगरानी आयुक्त के पास भेजा गया था. लेकिन इस पर निर्णय नहीं हो सका. अब इस दिशा में पहल की जा रही है.

निगरानी द्वारा भेजे गये प्रस्ताव को सरकार के पास भेज दिया गया है. इस बैठक में निगरानी में डीएसपी रैंक के अफसरों की कमी, निगरानी में लंबित मामलों पर भी चर्चा होगी. साथ ही निगरानी को और सुदृढ़ करने को लेकर भी चर्चा होगी. अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार बैठक में प्रेजेंटेशन के लिए निगरानी मंत्रिमंडल की ओर से बिंदुवार ब्योरा तैयार किया गया है.

भ्रष्ट अफसरों की संपत्ति जब्त करने संबंधित प्रस्ताव पर अगर सहमति बन जाती है. तब इसमें वैसे अधिकारियों की संपत्ति जब्त की जायेगी, जिनके पास आय से अधिक संपत्ति अजिर्त किये जाने संबंधित साक्ष्य मिलेंगे. आय से अधिक जो भी संपत्ति होगी. उसे निगरानी न्यायालय की अनुमति से जब्त कर सकेगा.

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