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दलों में नहीं बन सकी एक राय
सर्वदलीय बैठक : राजनीतिक पार्टियां नहीं सुलझा सकी स्थानीयता की गुत्थी रघुवर दास सरकार द्वारा स्थानीयता को लेकर बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में राजनीतिक दलों के बीच एक राय नहीं बन पायी. स्थानीयता के सवाल पर चौथी बार बुलायी गयी बैठक में कोई रास्ता नहीं निकला. सर्वदलीय बैठक में स्थानीयता के मुद्दे पर कोई कट […]
सर्वदलीय बैठक : राजनीतिक पार्टियां नहीं सुलझा सकी स्थानीयता की गुत्थी
रघुवर दास सरकार द्वारा स्थानीयता को लेकर बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में राजनीतिक दलों के बीच एक राय नहीं बन पायी. स्थानीयता के सवाल पर चौथी बार बुलायी गयी बैठक में कोई रास्ता नहीं निकला. सर्वदलीय बैठक में स्थानीयता के मुद्दे पर कोई कट ऑफ डेट पर सहमत नहीं था, तो कोई स्थानीय और नौजवानों को रोजगार का अधिकार मांग रहा था. नियोजन नीति बनाने के लिए सरकार पर दबाव था. स्थानीयता को राजनीतिक दल अपने-अपने वोट बैंक के चश्मे से ही देख रहे हैं. राजनीतिक दलों ने बैठक में क्या-क्या एजेंडे सुझाये, पेश है उसके मुख्य अंश:
पहले नियोजन नीति बनायें : झाविमो
झाविमो के प्रदीप यादव ने बताया कि उन्होंने सरकार से स्थानीयता की नीति जल्द से जल्द बनाने की मांग रखी. झारखंड की सीमा के अंदर रहने वालों को उनका अधिकार मिलना चाहिए. स्थानीयता और नियोजन नीति दोनों अलग-अलग विषय हैं. स्थानीय नीति बनने से युवाओं को रोजगार नहीं मिलेगा. सरकार पहले नियोजन नीति बनाये. झारखंड की नौकरियों में बाहर के लोग आ रहे हैं. सरकार जब तक स्थानीय नीति नहीं बनाती है, तब तक नियुक्तियों पर रोक लगनी चाहिए. श्री यादव ने बैठक में कहा कि सरकार संविधान की अनुच्छेद 16(3) के तहत सारी नौकरियां झारखंड में रहने वाले लोगों के लिए आरक्षित करे.
जिनके लिए राज्य बना है, उन्हें हक मिले : कांग्रेस
कांग्रेस के राजीव रंजन प्रसाद ने कहा है कि कांग्रेस हमेशा इस पक्ष में रही है कि जिनके लिए झारखंड राज्य का गठन हुआ है, उन्हें वाजिब हक मिलना चाहिए. नियोजन में यहां के लोगों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए. सरकार ने कोई प्रतिवेदन तैयार नहीं किया है. कांग्रेस के राजेंद्र सिंह की कमेटी द्वारा पूर्व में तैयार प्रस्ताव को ही आगे बढ़ा रही है. पार्टी मानती है कि मूलवासी और स्थानीय निवासी के प्रस्ताव को ही आगे ले जाना चाहिए.
राज्य के लोगों का ख्याल रखें : झामुमो
झामुमो के स्टीफन मरांडी ने बैठक में कहा कि सौहार्दपूर्ण वातावरण का निर्माण होना चाहिए. राज्य के लोगों का ख्याल रखा जाना चाहिए. सरकार यहां के लोगों को हक दे. सरकार को नियोजन नीति बनानी चाहिए. डोमिसाइल और नियोजन नीति अलग-अलग विषय है. यहां के नौजवानों को उनका हक मिलना चाहिए. वर्तमान में जो व्यवस्था चल रही है, उसे ही आधार माना जाना चाहिए. बिहार की अधिसूचना को आधार बना कर जिला स्तर पर नियुक्तियां होनी चाहिए.
कोई जिन्न ना निकाले सरकार: झाजमं
झारखंड जनाधिकार मंच के नेता बंधु तिर्की ने कहा कि सरकार डोमिसाइल के नाम पर कोई नया जिन्न ना निकाले. झारखंड के लोगों को उनका अधिकार मिलना चाहिए. राजनीतिक दलों को भी अपनी समझ साफ करनी चाहिए. यहां के आदिवासी-मूलवासी को उनका अधिकार मिलना चाहिए. तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियों को आरक्षित किया जाना चाहिए. सरकार को अपना भी प्रारूप बताना चाहिए. सरकार को बताना चाहिए कि वह क्या करना चाहती है. राज्य में नियोजन नीति बननी चाहिए. जिला और प्रखंड के स्तर पर बहाली हो. जिला में रोस्टर तय किया जाना चाहिए.
दूसरे राज्य की तर्ज पर हो स्थानीय नीति : सपा
सपा अध्यक्ष मनोहर यादव कहा कि झारखंड की नीति छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल या ओड़िशा राज्य में से किसी एक राज्य के आधार पर निर्धारित की जा सकती है. नियोजन नीति या आरक्षण अलग से बना कर तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरी 10 वर्षो के लिए अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े लोगों के लिए शत-शत प्रतिशत आरक्षित की जा सकती है. कट ऑफ डेट राज्य सरकार स्वयं निर्धारित करे.
पहली जनगणना को आधार मानें : माले
माले के नेता अनंत गुप्ता ने कहा कि स्थानीयता के नाम पर नौटंकी बंद होनी चाहिए. 14 वर्षो से झारखंड में इस मुद्दे को केवल उलझाया गया है. स्थानीय नीति जल्द से जल्द बननी चाहिए. पहली जनगणना को आधार बनाया जा सकता है. ग्राम सभा को भी अधिकार दे कर स्थानीय लोगों की पहचान कायम की जा सकती है. पहली बार के वोटर लिस्ट को भी आधार बनाया जा सकता है. इसके साथ ही सरकार को भूमिहीनों का भी ख्याल रखना चाहिए.
जिला स्तर पर ही रिक्तियों को भरा जाये : मासस
मासस के हलधर महतो ने कहा कि जिला स्तर पर ही रिक्तियों को भरा जाये. द्वितीय श्रेणी की नौकरियों को भी स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए. अब तक की सरकारों ने इसे जानबूझ कर लंबित रखा है.
1932 का खतियान हो आधार : आजसू
आजसू के प्रभाकर तिर्की ने कहा कि मूलवासी के लिए 1932 व अंतिम सर्वे को आधार बनाया जाना चाहिए. पार्टी का मानना है कि 1951 की जनगणना और वोटर लिस्ट को भी आधार बनाया जाना चाहिए. जिनका भी नाम उस समय के वोटर लिस्ट में था, वही या उनके वंशज स्थानीय माने जायेंगे. जिनके लिए राज्य बना है, उनके हित को ध्यान में रखना होगा.
सरकार भी अपनी मंशा बताये: राजद
राजद के प्रदेश अध्यक्ष गिरिनाथ सिंह ने कहा कि स्थानीय नीति जल्द बननी चाहिए. 14 वर्षो से लगातार इस मामले को लटकाया जा रहा है. सरकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी की उपेक्षा ना हो. ईमानदारी से पहल की जानी चाहिए. सरकार को भी अपनी मंशा साफ करनी चाहिए. सरकार प्रारूप लेकर आती, तो उसमें संशोधन की बात होती.
प्रखंड स्तर पर बहाली की प्रक्रिया पूरी करे : भाकपा
भाकपा के केडी सिंह ने कहा कि सरकार को नियोजन नीति बनानी चाहिए. प्रखंड स्तर पर बहाली की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए. 1982 में बिहार सरकार की अधिसूचना के अनुरूप काम होना चाहिए. झारखंड को भी उसी अधिसूचना को लागू करना चाहिए. डोमिसाइल को लेकर सरकार अपना रुख साफ करे. यहां के लोगों को अधिकार मिलना चाहिए.
सरकार ने कोई होमवर्क नहीं किया था : माकपा
माकपा के राज्य सचिव गोपीकांत बख्शी ने कहा कि सरकार कोई होमवर्क कर नहीं पहुंची. हेमंत सोरेन सरकार के तैयार ड्राफ्ट को ही रख दिया गया. सरकार खतियान को आधार बनाये जाने के पक्ष में नहीं है. सरकार इसको लेकर न्यायिक आयोग का भी गठन कर सकती है. राज्य की गरीब जनता और भूमिहीनों का भी ख्याल रखा जाना चाहिए. किसी का हक नहीं मारा जाना चाहिए.
राज्य गठन की तिथि बने आधार : लोजपा
लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बबन गुप्ता ने कहा कि झारखंड के साथ अलग हुए छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के मॉडल में थोड़ा बहुत संशोधन करते हुए अपनाया जाये. शिड्यूल एरिया में रह रहे मूलवासी को विशेष तौर पर चिह्न्ति कर इन्हें पांच वर्षो तक नियोजन नीति के तहत द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी में आरक्षण दिया जाये. राज्य गठन की तिथि कट ऑफ डेट मानी जाये.
बैठक में आनन फानन में पहुंचे अनंत ओझा
संगठन मंत्री ने फोन कर बैठक में जाने को कहा
एक घंटे विलंब से बैठक में शामिल हुए अनंत
10 दिन पहले बैठक की सूचना पार्टी कार्यालय को भेजी गयी थी
रांची : स्थानीयता को लेकर सरकार की ओर से बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक को लेकर सत्तारूढ़ दल की ओर से किसी प्रतिनिधि का नाम तय नहीं था. पार्टी ने आनन-फानन में विधायक अनंत ओझा को बैठक में शामिल होने के लिए भेजा. बैठक प्रोजेक्ट भवन सचिवालय में दिन के 11 बजे से प्रस्तावित थी, लेकिन भाजपा का प्रतिनिधि दिन के लगभग 12 बजे पहुंचा. सरकार की ओर से 10 दिन पहले ही सर्वदलीय बैठक की सूचना पार्टी कार्यालय को भेज दी गयी थी. प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राय समेत पार्टी के अन्य नेताओं को भी इसकी सूचना थी. लेकिन बैठक में हिस्सा लेने को लेकर किसी प्रतिनिधि का नाम तय नहीं किया गया था.
सर्वदलीय बैठक से पहले पार्टी की ओर से कोई आम राय भी नहीं बनायी गयी थी. सर्वदलीय बैठक में निर्धारित समय में भाजपा का प्रतिनिधि नहीं पहुंचने पर मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन कर इसकी जानकारी संगठन महामंत्री राजेंद्र सिंह को दी गयी. इसके बाद पार्टी की ओर से प्रतिनिधि को लेकर खोज शुरू हुई.
संगठन महामंत्री ने विधायक अनंत ओझा को फोन कर अविलंब बैठक में जाने का निर्देश दिया. इसके बाद श्री ओझा आनन-फानन में प्रोजेक्ट भवन पहुंचे और बैठक में शामिल हुए.
राज्य हित के लिए बने नियोजन नीति : भाजपा
बैठक में भाजपा के अनंत ओझा ने कहा कि झारखंड की प्रकृति अलग-अलग है. यहां विषमता है. इन सभी विषयों पर विचार करने की जरूरत है. राज्य के हित के लिए नियोजन नीति तैयार होना चाहिए. मुख्यमंत्री ने नौजवानों को रोजगार मिले, इसके लिए पहल की है. सबका साथ, सबका विकास की सोच नीति में होनी चाहिए.
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