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दूरदराज के इलाके में नहीं चल रहे ममता वाहन, कम किराया निर्धारण की शिकायत

रांची: कम किराया निर्धारण को लेकर राज्य के दूरदराज इलाके में ममता वाहन का संचालन नहीं हो रहा है. वाहन चालक नुकसान होने की बात कह कर गर्भवतियों को वाहन की सुविधा उपलब्ध नहीं करा रहे हैं. गौरतलब है कि राष्ट्रीय जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवतियों को अस्पताल ले जाने व वापस घर लौटने […]

रांची: कम किराया निर्धारण को लेकर राज्य के दूरदराज इलाके में ममता वाहन का संचालन नहीं हो रहा है. वाहन चालक नुकसान होने की बात कह कर गर्भवतियों को वाहन की सुविधा उपलब्ध नहीं करा रहे हैं. गौरतलब है कि राष्ट्रीय जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवतियों को अस्पताल ले जाने व वापस घर लौटने के लिए ममता वाहन की सुविधा नि:शुल्क दी जाती है. केंद्र प्रायोजित इस कार्यक्रम में किराये का भुगतान सरकार के स्तर पर होता है. इधर, केंद्र सरकार ने ममता वाहन की आने-जाने की एक ट्रिप के लिए अधिकतम 500 रु निर्धारित कर दिया है.
वाहन चालकों का कहना है कि इस रेट पर दूर के ट्रिप से नुकसान हो रहा है. पहले छह किमी के लिए तीन सौ रुपये तथा इसके बाद प्रति किमी नौ रुपये की दर से भुगतान होता था. गुमला की कुछ सहियाओं ने शिकायत की है कि वाहन चालकों ने उनसे भी पैसे वसूले हैं. इधर स्वास्थ्य विभाग ने जननी सुरक्षा कार्यक्रम प्रभारी डॉ एके चौधरी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है, जो इस समस्या का तर्कसंगत समाधान खोजेगी. विभागीय अधिकारियों का यह भी कहना है कि हर ट्रिप की दूरी एक समान नहीं होती. इसलिए 500 रु प्रति ट्रिप की दर संशोधित की जा सकती है.
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य समिति (एनआरएचएम) के अभियान निदेशक आशिष सिंहमार ने सभी सिविल सजर्नों को निर्देश दिया है कि वे वाहन चालकों के साथ बातचीत कर रेट तय करने का प्रयास करें. इधर डॉ चौधरी ने कहा है कि अगले 10-15 दिनों में ममता वाहन का संचालन सुचारु कर दिया जायेगा. गौरतलब है कि राज्य भर में 2438 ममता वाहन संचालित हैं.
हो सकती है जांच
जननी सुरक्षा के कार्यक्रम प्रभारी डॉ एके चौधरी ने कहा है कि फिल्ड में ममता वाहन के संचालन में गड़बड़ी की शिकायत मिलती रही है. प्रखंड स्तर पर कार्यरत विभागीय लोग अपने परिचितों को ज्यादा कॉल करते रहे हैं. यानी यदि किसी प्रखंड में चार ममता वाहन हैं, तो इनमें से एक या दो को ही काम दिया जाता रहा है. करीब 20 जिलों से ऐसी शिकायत मिली है. उन्होंने कहा है कि ज्यादातर ऐसे वाहन संचालक ही अब नखरे कर रहे हैं. डॉ चौधरी ने कहा कि मामले की निगरानी से जांच करायी जा सकती है.

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