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परबतपुर और पचुवारा कोल ब्लॉक से उत्पादन बंद, 10 हजार लोग हुए बेरोजगार

दुर्भाग्य : परबतपुर और पचुवारा कोल ब्लॉक से उत्पादन बंद इलेक्ट्रोस्टील को मिला था परबतपुर कोल ब्लॉक पंजाब इलेक्ट्रिसिटी को मिला था पचुवारा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 10 हजार लोगों को मिला था रोजगार सुनील चौधरी रांची : एक से दो अप्रैल के बीच राज्य में दो बड़े कोल ब्लॉक (परबतपुर और पचुवारा) से […]

दुर्भाग्य : परबतपुर और पचुवारा कोल ब्लॉक से उत्पादन बंद
इलेक्ट्रोस्टील को मिला था परबतपुर कोल ब्लॉक
पंजाब इलेक्ट्रिसिटी को मिला था पचुवारा
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 10 हजार लोगों को मिला था रोजगार
सुनील चौधरी
रांची : एक से दो अप्रैल के बीच राज्य में दो बड़े कोल ब्लॉक (परबतपुर और पचुवारा) से उत्पादन पूरी तरह बंद हो गया. 10 हजार से अधिक लोग बेरोजगार हो गये. उनका क्या होगा इस बाबत न तो कंपनी बता रही है और न ही कामगार को पता है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोल ब्लॉक आवंटन रद्द करने के बाद वर्तमान आवंटी की अवधि 31 मार्च 2015 को समाप्त हो गयी. अगले दिन से ही कोल ब्लॉक में कामकाज बंद हो गया. मजदूरों को कोल ब्लॉक से वापस लौटना पड़ा. दोनों कोल ब्लॉक में 10 हजार से अधिक लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से काम कर रहे थे. जिनकी रोजी-रोजगार पर संकट आ गया है.
परबतपुर कोल ब्लॉक के लिए बीसीसीएल कस्टोडियन नियुक्त : बोकारो जिले के चंदनकियारी प्रखंड स्थित परबतपुर कोल ब्लॉक वर्ष 2005 में इलेक्ट्रोस्टील स्टील लिमिटेड को आवंटित हुआ था. वर्ष 2006 से इस कोल ब्लॉक से उत्पादन हो रहा था. करीब 600 एकड़ में यह कोल ब्लॉक है. यहां प्रत्यक्ष रूप से दो हजार लोग काम करते हैं. अप्रत्यक्ष रूप से चार से पांच हजार लोगों को रोजगार मिला था, जिसमें डंपर चालक और सहायक भी शामिल थे. बताया गया कि करीब 800 डंपर यहां चलते थे. एक डंपर में अमूमन तीन लोग काम करते हैं. यानी 24 सौ अप्रत्यक्ष रूप से कार्यरत लोग बेरोजगार हो गये हैं. परबतपुर कोल ब्लॉक के लिए ऑक्शन हुआ था. पर इसमें केवल एक ही कंपनी जेएसडब्ल्यू लिमिटेड ने हिस्सा लिया था, जिसके चलते इस ऑक्शन को टाल दिया गया. फिलहाल कोल इंडिया के हवाले परबतपुर कोल ब्लॉक कर दिया गया है.
कोल इंडिया ने बीसीसीएल को इस कोल ब्लॉक के लिए कस्टोडियन बना दिया है. दो अप्रैल को बीसीसीएल के अधिकारियों ने कोल ब्लॉक में काम बंद करवा दिया. पर आगे क्या होगा इसके लिए अब कोल इंडिया के निर्देश का इंतजार किया जा रहा है. दूसरी ओर कार्यरत कर्मचारी वहां दो अप्रैल से प्रदर्शन कर रहे हैं.
पचुवारा का संचालन पैनम कंपनी करती थी : पाकुड़ स्थित पचुवारा सेंट्रल कोल ब्लॉक पूर्व में पंजाब इलेक्ट्रिसिटी कॉरपोरेशन को मिला था. पंजाब इलेक्ट्रिसिटी ने एमटा को माइंस डेवलपर व ऑपरेटर के रूप में नियुक्त करते हुए ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनायी थी, जिसका नाम था पैनम कोल माइंस लिमिटेड. पैनम कोल माइंस लिमिटेड द्वारा ही पचुवारा सेंट्रल में कोल ब्लॉक का उत्खनन किया जाता था. यहां भी दो हजार लोग प्रत्यक्ष रूप से और करीब पांच हजार लोग अप्रत्यक्ष रूप से बेरोजगार हो गये हैं. यहां सात सौ डंपर चलते थे.
पैनम के एक अधिकारी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का यह भी आदेश था कि 31 मार्च तक डेवलपर नियुक्त कर लिया जाये, ताकि उत्खनन का काम बंद न हो. पर यहां ऐसा नहीं हो सका है. फिलहाल सारे मजदूर बेरोजगार हो गये हैं. एक अप्रैल से उत्खनन बंद है.
पचुवारा को एमडीओ नियुक्त करना होगा
मिली जानकारी के अनुसार, पचुवारा सेंट्रल कोल ब्लॉक पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड को और पचुवारा नॉर्थ वेस्ट बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड को दोबारा आवंटित कर दिया गया है. 31 मार्च को आवंटन का आदेश जारी हुआ है. पैनम के अधिकारी बताते हैं कि दोबारा जब आवंटन हुआ है तो अब पंजाब और बंगाल की पावर कंपनियों को दोबारा माइंस डेवलपर एंड ऑपरेटर (एमडीओ) नियुक्त करना होगा. इसके लिए उन्हें आवेदन मंगाना होगा. इस पूरी प्रक्रिया में लगभग तीन माह के समय लग जायेंगे. तब तक कोल ब्लॉक से उत्पादन आरंभ होगा या नहीं यह स्पष्ट नहीं है.

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