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दान पत्र को आधार बना कर बांट दिये मुआवजा
आनंद मोहन रांची : मैथन थर्मल पावर लिमिटेड की रेलवे लाइन बिछाने के लिए धनबाद में भूमि अधिग्रहण किया गया. रेलवे लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण में भी खेल हुआ. मुआवजे के रूप में करोड़ों रुपये के वितरण में अनियमितता बरती गयी. अधिकारियों और कर्मचारियों की मिली भगत से घोटाला हुआ है. मिली जानकारी के […]
आनंद मोहन
रांची : मैथन थर्मल पावर लिमिटेड की रेलवे लाइन बिछाने के लिए धनबाद में भूमि अधिग्रहण किया गया. रेलवे लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण में भी खेल हुआ. मुआवजे के रूप में करोड़ों रुपये के वितरण में अनियमितता बरती गयी.
अधिकारियों और कर्मचारियों की मिली भगत से घोटाला हुआ है. मिली जानकारी के अनुसार सादा कागज पर दानपत्र के आधार पर मुआवजे का वितरण किया गया. पाण्ड्रा मौजा में भूमि अधिग्रहण का मुआवजा वितरण में अनियमितता की बात सामने आयी है. खतियान में कर्मचारियों ने ह्वाइटनर लगा कर मूल व्यक्ति का नाम मिटा दिया और दूसरे का नाम जोड़ दिया. रैयत के नाम और रकवा अंकित कर मुआवजे के लिए शिड्यूल तैयार किया गया. इसी मौजा में 25 डिसमिल जमीन पर 25 लोगों को सादा दान पत्र के आधार पर मुआवजा दिया गया.
घोटाले में शामिल रहे अमीन व राजस्व कर्मचारी
घोटाले में कई अमीनों ने फरजीवाड़ा करने में भूमिका निभायी. इसमें पाण्ड्रा मौजा के राजस्व कर्मचारी भी शामिल थे. इन पर खतियान में हेराफरी करने का आरोप है. इसके साथ ही तत्कालीन भू-अजर्न पदाधिकारी लाल मोहन नायक पर भी आरोप गठित हुआ. स्थानीय प्रशासन ने अमीन, कानूनगो को पदमुक्त कर दिया, लेकिन बड़े गिरोह तक नहीं पहुंच पाया. मुआवजा घोटाले को एक गिरोह ने अंजाम दिया था.
इस घोटाले की जांच अपर समाहर्ता, आपूर्ति धनबाद की अध्यक्षता में एक जांच दल गठित कर किया गया. जांच के बाद तत्कालीन उपायुक्त के आदेश पर इन अधिकारी-कर्मचारी पर कार्रवाई हुई. अनियमितता में भू-अजर्न पदाधिकारी, लाल मोहन नायक, अमीन श्यामापद मंडल, कानूनगो मिथिलेश कुमार, अमीन श्यामपद मंडल, अमीन रामा शंकर प्रसाद, राजस्व कर्मचारी परेशनाथ पांडेय, अमीन रामा शंकर प्रसाद का नाम आया था. इन पर विभागीय कार्रवाई हुई है.
केस-1
मौजा पांड्रा, खाता संख्या 229, प्लॉट संख्या- 364 रकवा 32 डिसमिल भूमि तथाकथित रूप से सादा दानपत्र के आधार पर साहबादी शेख से काली नापित को प्राप्त होने के आधार पर उनके उत्तराधिकारी सुनील नापित और विश्वनाथ नापित को एक डिसमिल भूमि के लिए मुआवजा दिया गया. जबकि जमीन की जमाबंदी नहीं हुई थी. इस मौजा में वास्तविक भूमि से ज्यादा जमीन मुआवजा शिड्यूल के लिए तैयार की गयी.
केस-2
पांड्रा मौजा में शिड्यूल तैयार करने में अनियमितता बरती गयी. यहां अधिग्रहित भूमि में गलत तरीके से शिड्यूल तैयार किया गया. यहां शेख मोहम्मद जमील, शेख रियाजुद्दीन, शेख मोहम्मद आरीफ और शेख मोहम्मद मुजामीन का नाम मकान के दखलदार के रूप में दर्ज कर मकान के एवज में मुआवजे का भुगतान किया गया.रैयत के नाम और तथाकथित दखलदार का नाम साजिश पूर्वक बाद में दूसरी स्हायी से अंकित कर भुगतान किया गया.
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