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ओके …प्राकृतिक धरोहरों को बचाना हमारा कर्तव्य : मेहता

मेदिनीनगर. सरहुल जल, जंगल और जमीन की पूजा है. पूर्वजों ने इसे संजो कर रखा है. हम सब का भी कर्तव्य बनता है कि इसे बचा कर रखें. इसी में हमारी भलाई है. जिस प्रकार जंगल का दोहन हो रहा है, वह चिंता का विषय है. यह बातें झारखंड संघर्ष मोरचा के केंद्रीय अध्यक्ष डॉ […]

मेदिनीनगर. सरहुल जल, जंगल और जमीन की पूजा है. पूर्वजों ने इसे संजो कर रखा है. हम सब का भी कर्तव्य बनता है कि इसे बचा कर रखें. इसी में हमारी भलाई है. जिस प्रकार जंगल का दोहन हो रहा है, वह चिंता का विषय है. यह बातें झारखंड संघर्ष मोरचा के केंद्रीय अध्यक्ष डॉ शशिभूषण मेहता ने कही. वे पांकी के पंचफेड़ी में सरहुल के मौके पर लोगों को संबोधित कर रहे थे. केंद्रीय सरना समिति पांकी द्वारा आयोजित सरहुल पूजा मंे बतौर मुख्य अतिथि डॉ मेहता ने कहा कि सरहुल सिर्फ आदिवासी समाज की ही नहीं, बल्कि सारे समाज की पूजा है. पूजा में सकलदीपा, मुर्गी ताल, सिजिवा, अहीर गुर्हा, महगाई, सुरवन, दरियापुर, टेटरखाड़, कसरी, परसवा समेत कई गांवों के लोगों ने भाग लिया. इसके बाद सभी प्रतिभागियों के शानदार प्रदर्शन पर डॉ मेहता ने मांदर देकर टीमों को पुरस्कृत किया. कार्यक्रम में समिति के अध्यक्ष योगेंद्र उरांव, महेश उरांव, नागेंद्र कुमार, डॉ संजय सिंह धानुक, ओमकारनाथ जायसवाल, संगीता देवी, संतु सिंह, नवल सिंह, अरुण वर्मा, ब्रह्मदेव पांडेय आदि उपस्थित थे.

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