रांची: कृषि विभाग ने झारखंड में धान रोपनी परंपरागत तकनीक के साथ-साथ श्रीविधि तकनीक से कराने की भी योजना बनायी है, ताकि कुछ वर्षों में चावल उत्पादन में राज्य आत्मनिर्भर बन जाये. विभाग श्रीविधि तकनीक से धान लगाने के लक्ष्य से कोसों दूर है, पर श्रीविधि तकनीक से खेती के मुख्य कृषि उपकरण वीडर की आपूर्ति में अव्वल है. राज्य के अधिकतर जिलों ने वीडर आपूर्ति का लक्ष्य पूरा किया है, पर किसानों तक किस प्रकार के वीडर पहुंचाये जा रहे हैं व गुणवत्ता क्या है, इसकी सुधि लेनेवाला कोई नहीं है.
कृषि विभाग किसानों तक क्वालिटी वीडर की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सात निर्माताओं/ अधिकृत विक्रेताओं को सूचीबद्ध किया है, जिनमें केजीवीके एग्रो लि रांची, बिहार एग्रोकेम प्रालि रांची, रत्नागिरि इंपेक्स प्राइवेट लि बेंगलुरु, मां काली ट्रेडर्स रांची, जयेस्सार इक्विपमेंट प्रालि कोयंबटूर, एसपी ट्रेडर्स एंड संस चाईबासा व तिरूपति एग्रो सीड डिस्ट्रिब्यूटर्स प्रालि कोलकाता शामिल हैं.
सूत्रों के अनुसार, सूचीबद्ध आपूर्तिकत्र्ताओं में कई ऐसे फर्म हंैं, जिनकी न तो उत्पादन इकाई है और न ही अच्छे व गुणवत्तायुक्त कृषि उपकरण निर्माता कंपनियों से एमओयू है. ऐसे फर्म अधिकारियों की सांठगांठ से लोकल निर्माताओं से घटिया स्तर के वीडर बनवा कर किसानों को आपूर्ति कर सब्सिडी राशि की बंदरबांट कर रहे हैं.