रांची: दो साल से एटूजेड शहर की सफाई में तत्परता से लगी हुई है. हम शत प्रतिशत तो शहर की सफाई नहीं कर पा रहे थे, लेकिन 70 प्रतिशत तक साफ-सफाई का काम हो रहा था. इधर, दो माह से स्थिति कुछ ऐसी बन गयी है कि शहर की सारी अव्यवस्था के लिए हमें ही जिम्मेवार ठहराया जा रहा था. तब जाकर हमने मजबूरी में नगर निगम के सीइओ को पत्र लिखा. उक्त बातें शनिवार को एटूजेड के ऑल इंडिया हेड विजय प्रकाश पांडेय ने प्रभात खबर संवाददाता से विशेष बातचीत में कही. प्रस्तुत है पूरे मामले पर विस्तारपूर्वक हुए सवाल-जवाब के प्रमुख अंश :
आपने निगम को पत्र लिखा, अब आगे यहां काम करना चाहते हैं या नहीं?
हम आगे भी शहर में काम करना चाहते हैं, परंतु नगर निगम सहयोग करे, तब तो. बगैर निगम के सहयोग के शहर में साफ-सफाई करना मुश्किल है.
यानी नगर निगम आपको सहयोग नहीं कर रहा है?
सहयोग तो कर रहा है, परंतु हमें जितनी मदद मिलनी चाहिए, नहीं मिल रही है. निगम के साथ हुए एग्रीमेंट के तहत हमें कई सुविधाएं मिलनी थीं, जो नहीं मिली. नतीजा यह हुआ कि सिस्टम सही से काम नहीं कर पाया.
वे कौन सी शर्ते हैं, जिसमें निगम ने सहयोग नहीं किया?
निगम के साथ हुए एग्रीमेंट के तहत हमें हर वार्ड में सेंकेडरी सब स्टेशन देना था, जहां हम ठेला व छोटी गाड़ियों से कचरा इकट्ठा करते. उस स्थल से कचरे को हम अपने कंपैक्टर से उठा कर ङिारी में गिराते, परंतु वह स्थल हमें आज तक नहीं मिला. हमें शहर में चार ट्रांसफर स्टेशन दिये जाने थे, जहां छोटी गाड़ियों से बड़ी गाड़ियों में कचरा भरा जाता, परंतु वे भी हमें नहीं मिले. शहर में हमें एक वर्कशॉप व पार्किग स्थल दिये जाने थे, जहां हम अपने सभी वाहनों को खड़ा करते, खराब वाहनों की मरम्मत कराते, परंतु हमें सिर्फ नागा बाबा खटाल का ही स्पेस दिया गया. कचरा उठाने का रेट भी काफी कम है. टिपिंग फीस में कटौती, डीजल की कीमत में बेतहाशा बढ़ोतरी आदि मुद्दे हैं, जिसके कारण हमने पत्र लिखा.