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दो लागों की 200 साल की सजा बरकरार

आत्मघाती हमलावर को मदद करने का आरोपलााहौर. पाकिस्तान वायु सेना की बस पर 2007 में एक आत्मघाती हमले में मदद पहुंचानेवाले दो लोगांे की 200 साल की सजा एक अदालत ने बुधवार को बरकरार रखी. लाहौर हाइकोर्ट की दो सदस्यीय एक पीठ ने उमर फारुक और मोहसिन उर्फ बुगती की दया अपीलें खारिज कर दी, […]

आत्मघाती हमलावर को मदद करने का आरोपलााहौर. पाकिस्तान वायु सेना की बस पर 2007 में एक आत्मघाती हमले में मदद पहुंचानेवाले दो लोगांे की 200 साल की सजा एक अदालत ने बुधवार को बरकरार रखी. लाहौर हाइकोर्ट की दो सदस्यीय एक पीठ ने उमर फारुक और मोहसिन उर्फ बुगती की दया अपीलें खारिज कर दी, जिन्हें सरगोधा में आतंकवाद रोधी अदालत ने दोषी ठहराया था. इन दोनों लोगों को उस आत्मघाती हमलावर की मदद करने के लिए दोषी ठहराया गया था, जिसने अपनी मोटरसाइकिल से बस में विस्फोट कर दिया था. इस घटना में आठ अधिकारी मारे गये थे और अन्य घायल हो गये थे. बस पाकिस्तान वायु सेना के स्टाफ को लेकर मुशाफ मीर वायुठिकाने से किराना एम्युनिसन डिपो जा रही थी. एटीसी सरगोधा ने प्रत्येक दोषी को आठ गुना उम्र कैद की सजा (200 साल) सुनायी थी.

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