रांची: आदिवासी बहुल इलाकों में कुपोषण से निबटने के लिए दो-दो साल में एक आंगनबाड़ी केंद्र नहीं बन पाते हैं. प्रधान महालेखाकार (पीएजी) ने पांच जिलों में आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण की जांच के बाद यह नतीजा निकाला है.
पीएजी ने रांची, गुमला, चाईबासा, सिमडेगा और साहेबगंज में 193 आंगनबाड़ी केंद्रों में से 158 को अधूरा पाया है. पीएजी द्वारा सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट में कहा गया है कि कल्याण विभाग ने 16.72 करोड़ की लागत से 387 आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण की योजना स्वीकृत की थी. इसमें से रांची, गुमला, चाईबासा, सिमडेगा, साहेबगंज में कुल 193 आंगनबाड़ी केंद्र बनाये जाने थे.
मई 2010 में स्वीकृति इन योजनाओं को एक साल में पूरा करना था, पर जांच के दौरान जून 2012 तक 135 आंगनबाड़ी केंद्रों को अधूरा पाया गया है. रिपोर्ट के अनुसार रांची में 2.16 करोड़ की लागत से 50 आंगनबाड़ी केंद्र बनाये जाने थे. यह काम जिला परिषद को दिया गया था. जांच के दौरान 1.32 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद 38 आंगनबाड़ी केंद्र अधूरे पाये गये हैं.
साहेबगंज में 99.36 लाख रुपये की लागत से 40 आंगनबाड़ी केंद्र बनाये जाने थे. यहां 40 में से सिर्फ 23 केंद्र बनाने का काम शुरू हुआ. 70.13 लाख खर्च के बावजूद सभी आंगनबाड़ी केंद्र जून 12 तक अधूरे पाये गये. चाईबासा के लिए स्वीकृत 50 आंगनबाड़ी केंद्रों में से 16 का काम एनआरइपी को और 34 का काम विशेष प्रमंडल को दिया गया था. विशेष प्रमंडल को इसके लिए 146.88 लाख और एनआरइपी को 69.12 लाख रुपये अग्रिम दिये गये थे.
एनआरइपी ने 16 में से 12 आंगनबाड़ी केंद्रों का काम शुरू किया और जून 2012 में बंद किया, जबकि इन आंगनबाड़ी केंद्रों को मार्च 2012 तक पूरा करना था. विशेष प्रमंडल ने तो 34 में से 21 का काम ही नहीं शुरू किया. जिन 13 आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण कार्य शुरू किया, वह भी अधूरा है. गुमला में 1.30 करोड़ की लागत से 30 आंगनबाड़ी केंद्र बनाये जाने थे. इसमें से पांच का काम ही शुरू नहीं हुआ, जबकि 25 आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण का काम मार्च 2012 तक अधूरा पाया गया. सिमडेगा में 23 में से सिर्फ दो ही आंगनबाड़ी केंद्र का काम पूरा हुआ, जबकि 21 अधूरा है.